2024 में गैस फ्लेयरिंग चरम पर: नाइजीरिया सहित कई देशों में प्रदूषण बढ़ा

विश्व बैंक की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर गैस फ्लेयरिंग से 389 मिलियन टन CO₂ समतुल्य (CO₂e) उत्सर्जन हुआ, जिसमें 46 मिलियन टन अवदहनित (unburnt) मीथेन शामिल थी। यह न केवल प्रदूषण में बढ़ोतरी को दर्शाता है, बल्कि गैस अपव्यय की एक गंभीर वैश्विक चुनौती को भी उजागर करता है।

गैस फ्लेयरिंग: प्रक्रिया और प्रभाव

गैस फ्लेयरिंग तेल उत्पादन के दौरान निकलने वाली प्राकृतिक गैस को जलाने की प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य सुरक्षा बनाए रखना होता है, लेकिन यह प्रक्रिया बड़े पैमाने पर कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी हानिकारक गैसों को उत्सर्जित करती है। 2024 में फ्लेयरिंग के कारण जितनी गैस बर्बाद हुई, वह अफ्रीका की वार्षिक गैस खपत के बराबर थी — लगभग 151 अरब घन मीटर।

नाइजीरिया में फ्लेयरिंग की तेज़ी

2024 में नाइजीरिया ने फ्लेयरिंग में 12% की वृद्धि दर्ज की, जो वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा इजाफा था। देश में तेल उत्पादन मात्र 3% बढ़ा, लेकिन फ्लेयरिंग तीव्रता (प्रति बैरल उत्पादित तेल पर फ्लेयरिंग) 8% बढ़ गई। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब देश में फ्लेयरिंग बढ़ी है। इसमें से 60% फ्लेयरिंग और 75% वृद्धि नाइजीरियाई राष्ट्रीय पेट्रोलियम निगम और कुछ छोटे ऑपरेटरों के खातों में गई, जो संभवतः गैस उपयोग के पर्याप्त साधनों और विशेषज्ञता से रहित हैं।

शीर्ष फ्लेयरिंग देश और वैश्विक प्रवृत्तियां

2024 में गैस फ्लेयरिंग के लिए जिम्मेदार शीर्ष नौ देश थे — रूस, ईरान, इराक, अमेरिका, वेनेज़ुएला, अल्जीरिया, लीबिया, मैक्सिको और नाइजीरिया। इन देशों का योगदान वैश्विक फ्लेयरिंग में 76% तक पहुंच गया है, जो 2012 में 65% था। ईरान, नाइजीरिया, अमेरिका, इराक और रूस ने सामूहिक रूप से 4.6 अरब घन मीटर अतिरिक्त गैस फ्लेयर की।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • 2024 में गैस फ्लेयरिंग से 389 MtCO₂e उत्सर्जन हुआ।
  • 151 अरब घन मीटर फ्लेयरिंग, 2007 के बाद सबसे अधिक स्तर।
  • 46 MtCO₂e उत्सर्जन अवदहनित मीथेन से हुआ।
  • “Zero Routine Flaring by 2030” पहल को 2015 में विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र ने शुरू किया था।

समाधान की दिशा: शून्य नियमित फ्लेयरिंग

विश्व बैंक की “Zero Routine Flaring by 2030” पहल ने कुछ देशों जैसे ब्राज़ील, कोलंबिया, मिस्र, इंडोनेशिया और कजाकिस्तान में सकारात्मक प्रगति दिखाई है। लीबिया और अल्जीरिया में भी 2024 में फ्लेयरिंग में कमी आई। लेकिन वैश्विक रूप से बढ़ती फ्लेयरिंग दर यह दर्शाती है कि 2030 तक लक्ष्य हासिल करने के लिए अब हर साल लगभग 40% की कमी आवश्यक है।
यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि समय रहते कठोर कदम उठाना आवश्यक है, अन्यथा गैस फ्लेयरिंग और मीथेन उत्सर्जन हमारे जलवायु लक्ष्यों और पारिस्थितिक संतुलन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *