2023 में 10,786 किसान और कृषि मज़दूरों की आत्महत्या: कृषि क्षेत्र की गहराती त्रासदी

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की हालिया रिपोर्ट ने देश के कृषि क्षेत्र की गंभीर स्थिति को उजागर किया है। वर्ष 2023 में भारत में कुल 1,71,418 आत्महत्याओं में से 10,786 आत्महत्याएँ किसानों और कृषि मजदूरों ने कीं, जो कुल आत्महत्याओं का 6.3% है। यह आँकड़ा लगातार तीसरे वर्ष 10,000 से अधिक आत्महत्याओं को दर्शाता है, जो एक गहरे और स्थायी संकट की ओर इशारा करता है।
आत्महत्या के प्रमुख क्षेत्र और वर्ग
कृषि क्षेत्र से जुड़ी 10,786 आत्महत्याओं में 4,690 किसान (कृषक) और 6,096 कृषि मजदूर थे। इनमें से:
- किसानों में 4,553 पुरुष और 137 महिलाएँ थीं।
- कृषि मजदूरों में 5,433 पुरुष और 663 महिलाएँ शामिल थीं।
राज्यवार रूप से, सबसे अधिक आत्महत्याएँ महाराष्ट्र (38.5%) में हुईं, इसके बाद कर्नाटक (22.5%), आंध्र प्रदेश (8.6%), मध्य प्रदेश (7.2%) और तमिलनाडु (5.9%) का स्थान रहा। वहीं, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, और कुछ पूर्वोत्तर राज्यों ने कृषि क्षेत्र से कोई आत्महत्या दर्ज नहीं की।
कारणों को लेकर उठते सवाल
किसान संगठनों ने केंद्र सरकार की नीतियों को इस संकट के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है। अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धवले ने कहा कि आत्महत्या का यह सिलसिला केंद्र की नीतिगत असफलता को दर्शाता है। उन्होंने विशेष रूप से कपास बेल्ट — विदर्भ और मराठवाड़ा — में बढ़ती आत्महत्याओं को चिन्हित किया, जहाँ किसान कपास और सोयाबीन की खेती करते हैं।
सरकार द्वारा हाल ही में कपास पर 11% आयात शुल्क को हटाए जाने के निर्णय की भी आलोचना की गई। किसानों का मानना है कि यह निर्णय अमेरिकी कपास को भारतीय बाजार में सस्ते दामों पर प्रवेश देगा, जिससे घरेलू कपास उत्पादकों को गहरी चोट पहुँचेगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत में 2023 में हर दिन औसतन 29 किसान या कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की।
- महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र को आत्महत्या का केंद्र माना जा रहा है।
- NCRB डेटा के अनुसार, लगातार तीन वर्षों (2021–2023) में 10,000 से अधिक आत्महत्याएँ कृषि क्षेत्र से दर्ज की गईं।
- NCRB रिपोर्ट के अनुसार, कपास बेल्ट वाले राज्य आत्महत्या के आँकड़ों में सबसे ऊपर हैं।