2023 में समुद्री हीट वेव्स: समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर जलवायु संकट की चेतावनी

2023 की वैश्विक समुद्री हीट वेव्स (Marine Heat Waves – MHWs) ने महासागरों में गर्मी की तीव्रता, अवधि और क्षेत्रफल की सभी पुरानी सीमाएं तोड़ दीं। एक नई वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, ये घटनाएं जलवायु परिवर्तन के संभावित ‘टिपिंग पॉइंट’ का संकेत हो सकती हैं, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में अपूरणीय बदलाव ला सकती हैं।

क्या हैं समुद्री हीट वेव्स?

समुद्री हीट वेव्स वे घटनाएं होती हैं जब समुद्र की सतह के तापमान में असामान्य रूप से लंबे समय तक अत्यधिक वृद्धि होती है। ये लहरें सामान्य से चार गुना अधिक समय तक बनी रहती हैं और पारिस्थितिकी तंत्र, समुद्री उद्योग और मानव गतिविधियों पर गहरा प्रभाव डालती हैं।

2023 की हीट वेव्स क्यों थीं अभूतपूर्व?

अध्ययन के अनुसार, 2023 में समुद्री हीट वेव्स ने निम्नलिखित रिकॉर्ड बनाए:

  • 96% वैश्विक महासागर क्षेत्र इन हीट वेव्स की चपेट में रहा।
  • कुल तापीय प्रभाव 53.6 बिलियन °C डेज़ स्क्वायर किलोमीटर मापा गया, जो 1982 के बाद की ऐतिहासिक सीमा से तीन मानक विचलन ऊपर था।
  • उत्तरी अटलांटिक में यह हीट वेव 525 दिनों तक चली — अब तक की सबसे लंबी।
  • उष्णकटिबंधीय पूर्वी प्रशांत में तापमान 1.63°C तक बढ़ गया, जो एल नीनो के शुरू होने के दौरान हुआ।

क्षेत्रीय कारक और प्रमुख प्रभाव

अध्ययन में पाया गया कि विभिन्न क्षेत्रीय कारक इन हीट वेव्स की तीव्रता और स्थायित्व के लिए जिम्मेदार थे, जैसे कि:

  • घटे हुए बादलों के कारण सूर्य की अधिक ऊर्जा का प्रवेश
  • कमजोर पवन प्रवाह
  • समुद्री धाराओं में असामान्यता

इन कारकों ने उत्तरी अटलांटिक, उष्णकटिबंधीय पूर्वी प्रशांत, उत्तरी प्रशांत और दक्षिण-पश्चिम प्रशांत जैसे क्षेत्रों में हीट वेव्स को विशेष रूप से तीव्र बनाया।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • समुद्री हीट वेव्स का मापन ‘°C डेज़ स्क्वायर किलोमीटर’ में किया जाता है।
  • 2023 की MHWs की अवधि ऐतिहासिक औसत से चार गुना अधिक थी।
  • महासागर का 90% गर्मी का असामान्य प्रभाव केवल चार क्षेत्रों में केंद्रित था।
  • सबसे लंबी MHW उत्तरी अटलांटिक में 525 दिनों तक चली।

समुद्री जीवन और मानवीय गतिविधियों पर प्रभाव

हीट वेव्स से कोरल रीफ्स पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा, जिससे ‘कोरल ब्लीचिंग’, मछलियों का पलायन, और समुद्री खाद्य श्रृंखला का विघटन हुआ। इससे समुद्री खाद्य संसाधनों की उपलब्धता घटी और मत्स्य उद्योग में भारी आर्थिक नुकसान हुआ। जैसे कि पैसिफिक कॉड (Pacific Cod) मत्स्य क्षेत्र में गिरावट आई, जिससे हजारों लोगों की आजीविका प्रभावित हुई।
इस अध्ययन ने चेतावनी दी है कि यदि समुद्री पारिस्थितिक तंत्र बार-बार इस तरह के हीट वेव्स के संपर्क में आते हैं, तो वे वापसी की सीमा से परे जाकर स्थायी क्षति का शिकार हो सकते हैं। इस स्थिति में जैव विविधता में भारी गिरावट, मछलियों की प्रजातियों का स्थानांतरण और खाद्य श्रृंखलाओं का विघटन जैसी समस्याएं गंभीर हो जाएंगी।
यह स्पष्ट है कि समुद्रों में उत्पन्न यह गर्मी अब केवल वैज्ञानिक चिंता का विषय नहीं रह गई, बल्कि यह मानव जीवन और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुकी है।

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