1.96 लाख करोड़ का कर्ज नहीं लौटाया: जानिए RBI द्वारा चिन्हित शीर्ष विलफुल डिफॉल्टर्स

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में साझा किए गए आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि मार्च 2024 तक 2,664 कॉर्पोरेट कंपनियों को ‘विलफुल डिफॉल्टर’ घोषित किया गया है। इन कंपनियों पर कुल ₹1,96,441 करोड़ का बकाया है, जिसे उन्होंने जानबूझकर नहीं चुकाया—जबकि उनके पास चुकाने की क्षमता थी। यह खुलासा देश की बैंकिंग प्रणाली और कॉर्पोरेट पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

‘विलफुल डिफॉल्टर’ की परिभाषा

RBI के अनुसार, यदि कोई उधारकर्ता भुगतान करने की क्षमता रखते हुए भी ऋण नहीं चुकाता, या उधार की गई राशि को अन्य उद्देश्यों के लिए डायवर्ट करता है, या गिरवी रखी संपत्ति को बैंक को बताए बिना हटा देता है, तो उसे ‘विलफुल डिफॉल्टर’ घोषित किया जाता है।

शीर्ष 5 विलफुल डिफॉल्टर कंपनियाँ

  1. गीतांजलि जेम्स लिमिटेड (₹8,516 करोड़): इसके प्रमोटर मेहुल चोकसी और उनके भतीजे नीरव मोदी देश छोड़कर भाग चुके हैं। कंपनी पर पायरेटेड बैंक ऋण को टैक्स हेवन्स में स्थानांतरित करने का आरोप है।
  2. एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड (₹4,684 करोड़): प्रमोटर ऋषि अग्रवाल को सितंबर 2022 में CBI ने गिरफ्तार किया था। कंपनी पर निजी लाभ के लिए फंड डायवर्जन का आरोप है।
  3. कॉनकास्ट स्टील एंड पावर (₹4,305 करोड़): ईडी ने प्रमोटर संजय सुरेका को गिरफ्तार किया और करोड़ों की संपत्ति जब्त की।
  4. एरा इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग (₹3,637 करोड़): कंपनी को हाल ही में NCLT द्वारा एक नए कंसोर्टियम को सौंपा गया है।
  5. आरईआई एग्रो लिमिटेड (₹3,350 करोड़): एक समय की विश्व की सबसे बड़ी बासमती प्रोसेसिंग कंपनी, अब मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में फंसी।

अन्य प्रमुख डिफॉल्टर्स

  • विन्सम डायमंड्स: ₹2,927 करोड़; प्रमोटर जतिन मेहता देश छोड़कर भागे।
  • रोटोमैक ग्लोबल: ₹2,894 करोड़; विक्रम कोठारी द्वारा संचालित यह कंपनी पेन मैन्युफैक्चरिंग के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी में शामिल।
  • ट्रांसस्टॉय इंडिया लिमिटेड: राजनेता और पूर्व TDP सांसद रायपति संबसीवा राव द्वारा संचालित कंपनी पर भी गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • RBI के अनुसार, मार्च 2020 में विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या 2,154 थी, जो मार्च 2024 में बढ़कर 2,664 हो गई।
  • इस अवधि में डिफॉल्ट राशि ₹1,52,860 करोड़ से बढ़कर ₹1,96,441 करोड़ हो गई।
  • कई कंपनियों के मामले NCLT, CBI, और ED के समक्ष चल रहे हैं, जिनमें फंड डायवर्जन, फर्जीवाड़ा और मनी लॉन्ड्रिंग शामिल हैं।

बढ़ते विलफुल डिफॉल्टर्स: बैंकिंग प्रणाली के लिए चेतावनी

ये आंकड़े यह संकेत देते हैं कि भारत की बैंकिंग प्रणाली को अभी भी कॉर्पोरेट कर्ज न चुकाने वाले, जानबूझकर धोखा देने वाले डिफॉल्टरों से निपटने के लिए और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। ऋण पुनर्प्राप्ति की प्रक्रिया को तेज करने के साथ-साथ पारदर्शिता और जवाबदेही को प्राथमिकता देना अनिवार्य है।
वित्तीय अनुशासन, नियामक सख्ती और न्यायिक प्रक्रिया में तेजी ही भारत के बैंकिंग क्षेत्र को इन भारी वित्तीय घोटालों से उबारने का रास्ता है।

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