1 सितंबर से प्रभावी हुआ नया आप्रवासन कानून: विदेशी नागरिकों की एंट्री, रजिस्ट्रेशन और नियमन की संपूर्ण रूपरेखा में बड़ा बदलाव

भारत सरकार ने 1 सितंबर 2025 से आप्रवासन और विदेशी नागरिक अधिनियम, 2025 (The Immigration and Foreigners Act, 2025) के तहत कई नियम और आदेश अधिसूचित किए हैं। यह नया कानून भारत की विदेशी नागरिकों की एंट्री, निवास, आवागमन और निकासी से संबंधित पुरानी और बिखरी हुई व्यवस्था को समेटकर एकीकृत और पारदर्शी प्रणाली में बदलने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।
पुराने कानूनों का विलय
नए अधिनियम के तहत निम्नलिखित पुराने कानूनों को निरस्त कर दिया गया है:
- पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920
- विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम, 1939
- विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946
- आप्रवासन (वाहक दायित्व) अधिनियम, 2000
इन चारों कानूनों की जटिल और कभी-कभी परस्पर विरोधी प्रविधियों को अब एक एकीकृत अधिनियम में समाहित किया गया है।
मुख्य विशेषताएँ
- वैध दस्तावेज अनिवार्य: सभी विदेशी नागरिकों को वैध पासपोर्ट और वीज़ा होना आवश्यक है, जब तक कि उन्हें विशेष रूप से छूट न दी गई हो।
- प्रवेश और निकासी केवल अधिसूचित पोस्ट से: केवल चिन्हित हवाई अड्डों, बंदरगाहों, सीमा चौकियों और रेल पोस्ट से प्रवेश/निकासी मान्य होगी।
- इमिग्रेशन अधिकारी के पास अंतिम अधिकार: वह किसी भी विदेशी को राष्ट्र सुरक्षा के आधार पर प्रवेश/निकासी से रोक सकता है।
- पंजीकरण प्रणाली: सभी विदेशी नागरिकों को स्थानीय पंजीकरण अधिकारियों के पास पंजीकृत होना अनिवार्य है। पुलिस अधीक्षक/डीसीपी इसके लिए नामित स्थानीय प्राधिकारी होंगे।
रिपोर्टिंग और निगरानी प्रावधान
- होटल, हॉस्टल, धार्मिक संस्थान, आदि को 24 घंटे के भीतर हर विदेशी की सूचना देना अनिवार्य।
- विश्वविद्यालय और अस्पताल: विदेशी छात्रों की भर्ती और विदेशी मरीजों की चिकित्सा की रिपोर्ट संबंधित अधिकारी को देनी होगी।
- विदेशियों के जन्म-मृत्यु की रिपोर्टिंग: अस्पतालों को 7 दिनों के भीतर इलेक्ट्रॉनिक रूप से रिपोर्ट देनी होगी।
- संवेदनशील क्षेत्रों में प्रवेश: विशेष परमिट आवश्यक, जिसे ऑनलाइन पोर्टल या मोबाइल ऐप के माध्यम से आवेदन किया जा सकता है।
छूट प्राप्त श्रेणियाँ
- भारतीय सेना के सदस्य और उनके परिवार (सरकारी यात्रा पर)
- नेपाल और भूटान के नागरिक, विशिष्ट मार्गों से प्रवेश करने पर
- तिब्बती शरणार्थी, यदि विशेष पंजीकरण प्रमाणपत्र हो
- धार्मिक उत्पीड़न से पीड़ित हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई शरणार्थी जो 31 दिसंबर 2024 से पहले भारत आए हैं
- श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी, जो 9 जनवरी 2015 तक भारत में आ चुके हैं
- राजनयिक/आधिकारिक पासपोर्ट धारक, जिनके लिए वीज़ा शर्तों में छूट है
- विदेशी सैन्यकर्मी, जो मानवीय कार्यों के लिए भारत आए हों
डिजिटलकरण और दंड प्रावधान
- डिजिटल रिकॉर्ड अनिवार्य: रिपोर्टिंग संस्थानों को डेटा ऑनलाइन पोर्टल्स या ऐप के माध्यम से भेजना अनिवार्य होगा।
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दंड का ग्रेडिंग सिस्टम:
- नियम उल्लंघन पर ₹10,000 से ₹5 लाख तक का जुर्माना
- तिब्बती, मंगोलियन बौद्ध भिक्षु, पाकिस्तान-बांग्लादेश-अफगानिस्तान के कुछ समूहों पर विशेष छूट (न्यूनतम ₹50 तक जुर्माना)
स्थानीय विवेकाधिकार समाप्त
- केवल केंद्र सरकार के अधिसूचित आदेश ही किसी विदेशी को छूट प्रदान कर सकते हैं। स्थानीय स्तर पर छूट देने का अधिकार अब समाप्त कर दिया गया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यह अधिनियम 2025 में लोकसभा (27 मार्च) और राज्यसभा (2 अप्रैल) से पारित हुआ, तथा 4 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त हुई।
- CAA 2019 के तहत नागरिकता पाने की अंतिम कटऑफ तिथि 31 दिसंबर 2014 बनी हुई है, लेकिन 2025 के अधिनियम में प्रवेश संरक्षण की तिथि 31 दिसंबर 2024 तक दी गई है।