हिमालयन ब्राउन बियर: संघर्ष, संकट और संरक्षण की चुनौती

हाल ही में पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान स्थित देओसाई राष्ट्रीय उद्यान में प्रसिद्ध पाकिस्तानी गायिका क़ुरतुलएन बलोच पर हिमालयन ब्राउन बियर ने हमला कर दिया। सौभाग्यवश वे सुरक्षित बच गईं, लेकिन यह घटना हिमालयी क्षेत्रों में मनुष्य और वन्यजीवों के बीच बढ़ते संघर्ष की गंभीरता को उजागर करती है। यह संघर्ष केवल एक घटना नहीं है, बल्कि बदलते जलवायु, मानव अतिक्रमण और जैव विविधता संकट का प्रतिबिंब है।

हिमालयन ब्राउन बियर: एक रहस्यमयी शिकारी

यूरोप और उत्तरी अमेरिका में ब्राउन बियर की पारिस्थितिकी पर व्यापक शोध हुआ है, लेकिन एशियाई उच्चभूमि विशेषकर भारत, नेपाल, पाकिस्तान और तिब्बत क्षेत्र में यह अब भी एक रहस्य बना हुआ है। भारत में पाए जाने वाला हिमालयन ब्राउन बियर (Ursus arctos isabellinus) एक “छत्र” और “संकेतक” प्रजाति मानी जाती है — यानी इसका संरक्षण पूरे पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।
हालांकि, जलवायु परिवर्तन और मानव भूमि उपयोग के कारण इनकी संख्या गिर रही है। पर्वतीय जंगलों और घास के मैदानों की कटाई, गांवों का विस्तार, और कृषि भूमि का बढ़ता विस्तार इनके प्राकृतिक आवास को खंडित कर रहा है। तापमान में लगातार हो रही वृद्धि ने भी इनकी पारिस्थितिक सीमा को संकुचित कर दिया है।

इंसानों से टकराव: कारण और परिणाम

पिछले कुछ वर्षों में लद्दाख के जंस्कार और हिमाचल के लाहौल जैसे क्षेत्रों में मानव-बियर संघर्ष (HBC) की घटनाएं तेज़ी से बढ़ी हैं। जानवर न केवल मवेशियों पर हमला करते हैं बल्कि गांवों में घुसकर खाने की तलाश में घरों तक पहुंच जाते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि ये भालू अब मानव-निर्मित खाद्य अपशिष्ट पर निर्भर हो रहे हैं, जिससे उनकी प्राकृतिक प्रवृत्तियों में बदलाव आ रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति ‘हाइपरफेजिया’ नामक अवस्था के दौरान अधिक गंभीर हो जाती है — जब भालू सर्दियों की निष्क्रियता से पहले अधिक से अधिक ऊर्जा संचित करना चाहते हैं। जलवायु परिवर्तन ने भी सर्दी के मौसम को छोटा कर दिया है, जिससे भालू अब ठंड के बीच में भी भोजन की तलाश में भटकते देखे जा रहे हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • हिमालयन ब्राउन बियर (Ursus arctos isabellinus) भारत, पाकिस्तान और नेपाल के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • देओसाई राष्ट्रीय उद्यान, गिलगित-बाल्टिस्तान में स्थित है और हिमालयन ब्राउन बियर के महत्वपूर्ण आवासों में से एक है।
  • हाइपरफेजिया एक शारीरिक अवस्था है जिसमें भालू सर्दियों से पहले अत्यधिक भोजन ग्रहण करते हैं।
  • HBC (Human-Bear Conflict) में वृद्धि का मुख्य कारण भोजन की तलाश में भालुओं का मानव बस्तियों में प्रवेश है।

संरक्षण की राह: समाधान और चुनौतियाँ

विशेषज्ञों का मानना है कि केवल संरक्षित क्षेत्रों की घोषणा और वन क्षेत्रों में विकास कार्यों पर रोक पर्याप्त नहीं है। संरक्षण योजनाओं में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी सम्मिलित करना अनिवार्य है। सुझावों में खाद्य अपशिष्ट प्रबंधन, चराई पर नियंत्रण, ग्रामीणों के लिए वन्यजीव शिक्षा, सामुदायिक निगरानी समूहों की स्थापना और इको-पर्यटन को बढ़ावा देना शामिल है।
हिमालयन ब्राउन बियर केवल एक प्रजाति नहीं, बल्कि हिमालयी पारिस्थितिकी का एक संवेदनशील प्रतीक है। इसकी रक्षा न केवल जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए जरूरी है, बल्कि मानव-वन्यजीव सहअस्तित्व के भविष्य की दिशा भी तय करेगी। वर्तमान घटनाएं इस दिशा में गंभीर पुनर्विचार और समन्वित प्रयास की मांग कर रही हैं।

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