हिमाचल प्रदेश का शिपकी ला दर्रा पर्यटन के लिए खुला: व्यापार, तीर्थ और सांस्कृतिक पुनरुत्थान की नई राह

हिमाचल प्रदेश सरकार ने किन्नौर जिले के सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शिपकी ला दर्रे को घरेलू पर्यटकों के लिए खोल दिया है। समुद्र तल से 3,930 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा भारत-चीन सीमा के निकट है और इसे खोलने का निर्णय न केवल सीमांत पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि भारत-तिब्बत व्यापार पुनः प्रारंभ करने और कैलाश मानसरोवर यात्रा के वैकल्पिक मार्ग के रूप में इसे स्थापित करने की संभावनाओं को भी जन्म देता है।
सीमांत पर्यटन को नया जीवन
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा उद्घाटित इस पहल का उद्देश्य सीमांत क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को गति देना, रोज़गार के अवसर पैदा करना और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना है। वे शिपकी ला पहुँचने वाले यशवंत सिंह परमार के बाद दूसरे मुख्यमंत्री बने हैं। उन्होंने कहा, “शिपकी ला की नैसर्गिक सुंदरता अब आम नागरिक अनुभव कर सकेंगे, और यह पर्यटन क्षेत्र के लिए एक नई ऊर्जा का स्रोत बनेगा।”
ऐतिहासिक व्यापार मार्ग का पुनरुद्धार
शिपकी ला वह स्थान है जहाँ से सतलुज नदी तिब्बत से भारत में प्रवेश करती है। यह दर्रा ऐतिहासिक रूप से भारत और तिब्बत के बीच व्यापार का प्रमुख मार्ग रहा है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद यह मार्ग बंद हो गया था, लेकिन 1992 में फिर से व्यापार शुरू हुआ। 2020 में कोविड-19 महामारी और सीमा पर तनावों के चलते यह फिर से बंद हो गया।
भारत की ओर से 37 वस्तुएँ जैसे कृषि उपकरण, तांबे के उत्पाद, चाय और मसाले निर्यात होते थे, जबकि चीन से ऊन, कच्चा रेशम, याक की पूँछें और औषधियाँ आयात की जाती थीं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- शिपकी ला दर्रे से भारत-चीन व्यापार 1992 में पुनः शुरू हुआ था।
- सतलुज नदी (तिब्बत में लांगचेन ज़ांगबो) शिपकी ला से भारत में प्रवेश करती है।
- किन्नौर इंडो-चाइना ट्रेड एसोसिएशन ने व्यापार पुनः आरंभ के लिए विदेश मंत्रालय से बातचीत की मांग की है।
- शिपकी ला का पुराना नाम ‘पेम ला’ था, जिसे 1962 के बाद LAC के रूप में मान्यता दी गई।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए संभावित मार्ग
मुख्यमंत्री सुक्खू ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि शिपकी ला को कैलाश मानसरोवर यात्रा के वैकल्पिक मार्ग के रूप में विकसित किया जाए। यह यात्रा हिंदू, बौद्ध और जैन समुदायों के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है। वर्तमान में नेपाल और चीन के माध्यम से यात्रियों को लंबी और जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, ऐसे में शिपकी ला एक सुगम और सांस्कृतिक दृष्टि से उपयुक्त विकल्प बन सकता है।
शिपकी ला दर्रे को पर्यटन और व्यापार के लिए खोलना एक ऐतिहासिक कदम है, जिससे न केवल किन्नौर की सीमांत संस्कृति को नया जीवन मिलेगा, बल्कि भारत-तिब्बत के प्राचीन संबंधों को पुनः जागृत करने का अवसर भी प्रदान होगा। यह पहल स्थानीय समुदायों के लिए आर्थिक आधार बनेगी और एक रणनीतिक क्षेत्र में स्थायी विकास की नींव रखेगी।