हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा की भारी संभावनाएँ, लेकिन कम उपयोग

हिंदू कुश हिमालय (HKH) क्षेत्र, जिसमें अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, चीन, भारत, म्यांमार, नेपाल और पाकिस्तान शामिल हैं, नवीकरणीय ऊर्जा की अपार संभावनाओं के बावजूद अपनी कुल प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति (TPES) का केवल 6.1 प्रतिशत ही स्वच्छ ऊर्जा से प्राप्त कर पा रहा है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) की एक नई रिपोर्ट में यह चिंताजनक स्थिति उजागर की गई है। यह रिपोर्ट 5 सितंबर को बैंकॉक में आयोजित एशिया-पैसिफिक क्लीन एनर्जी वीक के दौरान जारी की गई।
जलविद्युत क्षमता का अल्प उपयोग
HKH क्षेत्र की जलविद्युत क्षमता 882 गीगावॉट आँकी गई है, जिसमें से 635 गीगावॉट क्षमता ट्रांस-बाउंड्री नदियों से आती है। लेकिन इस अपार क्षमता का केवल 49 प्रतिशत ही वर्तमान में उपयोग हो रहा है। यह स्पष्ट करता है कि जलविद्युत क्षेत्र में अब भी काफी गुंजाइश है, जिसे वैज्ञानिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से सावधानीपूर्वक दोहन किया जा सकता है।
सौर और पवन ऊर्जा की प्रचुर संभावनाएँ
HKH क्षेत्र में सौर और पवन ऊर्जा की संयुक्त क्षमता 3 टेरावाट आँकी गई है, जबकि क्षेत्रीय देशों द्वारा अपने राष्ट्रीय संकल्प (Nationally Determined Contributions) के तहत कुल 1.7 टेरावाट का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह अंतर दर्शाता है कि HKH क्षेत्र अकेले ही क्षेत्रीय लक्ष्यों से दोगुनी नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान कर सकता है, यदि इसका समुचित उपयोग हो।
जीवाश्म ईंधन और पारंपरिक स्रोतों पर निर्भरता
भूटान और नेपाल जहाँ 100% विद्युत उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से करते हैं, वहीं बांग्लादेश (98%), भारत (77%), पाकिस्तान (76%), चीन (67%) और म्यांमार (51%) में जीवाश्म ईंधनों का प्रभुत्व बना हुआ है। साथ ही, नेपाल, म्यांमार, भूटान और पाकिस्तान जैसे देशों में बायोफ्यूल और कचरे पर भारी निर्भरता अब भी बनी हुई है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत ईंधनों (लकड़ी, फसल अवशेष, गोबर) के उपयोग को दर्शाता है।
जलवायु परिवर्तन का ऊर्जा क्षेत्र पर प्रभाव
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि जलवायु परिवर्तन जलविद्युत उत्पादन को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। बदलते जलविज्ञान चक्र, मौसमी प्रवाह में परिवर्तन, और चरम मौसम की घटनाएँ जलविद्युत परियोजनाओं को जोखिम में डाल रही हैं। विशेष रूप से ग्लेशियल झील फटने की घटनाएँ वर्तमान और प्रस्तावित परियोजनाओं के दो-तिहाई हिस्से को प्रभावित कर सकती हैं। इस संदर्भ में रिपोर्ट में डिज़ास्टर रिस्क मिटीगेशन रणनीतियों को सभी परियोजनाओं में शामिल करने पर बल दिया गया है।
“डैम्स के समकक्ष” समाधानों की आवश्यकता
बड़े बाँधों के विकल्प के रूप में रिपोर्ट में “डैम्स इक्विवेलेंट्स” की अवधारणा को बढ़ावा देने की बात कही गई है। इनमें जल-संरक्षण आधारित सिंचाई प्रणालियाँ, शहरी जल भंडारण, और सौर व पवन ऊर्जा जैसे तकनीकी, संस्थागत और संरचनात्मक समाधान शामिल हैं जो पारंपरिक बाँधों की तुलना में पर्यावरणीय प्रभाव कम रखते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में कुल 882 GW जलविद्युत क्षमता का आकलन किया गया है।
- HKH क्षेत्र में गैर-हाइड्रो नवीकरणीय ऊर्जा (सौर और पवन) की क्षमता 3 टेरावाट है।
- नेपाल और भूटान अपनी संपूर्ण बिजली आपूर्ति नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करते हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार, दो-तिहाई जलविद्युत परियोजनाएँ ग्लेशियर से जुड़ी आपदाओं के प्रति संवेदनशील हैं।
HKH क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा की संभावनाएँ न केवल क्षेत्रीय ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत कर सकती हैं, बल्कि यह आर्थिक विकास, रोज़गार सृजन और पर्यावरण संरक्षण का आधार भी बन सकती हैं। इसके लिए ज़रूरी है कि क्षेत्रीय सहयोग, तकनीकी नवाचार और वित्तीय निवेश को प्राथमिकता दी जाए। यदि इन पहलों को गंभीरता से लागू किया जाए, तो यह क्षेत्र विश्व के स्वच्छ ऊर्जा मानचित्र पर एक अग्रणी स्थान हासिल कर सकता है।