सैंटोरिनी और कोलंबो ज्वालामुखियों के बीच मिला मैग्मा का रहस्यमय संबंध

सैंटोरिनी और कोलंबो ज्वालामुखियों के बीच मिला मैग्मा का रहस्यमय संबंध

ग्रीस के सैंटोरिनी द्वीप के आसपास जनवरी 2025 में आए तीव्र भूकंपों की एक श्रृंखला ने दो ऐतिहासिक रूप से सक्रिय ज्वालामुखियों—सैंटोरिनी और कोलंबो—के बीच एक गुप्त और जलते हुए भूगर्भीय संबंध को उजागर किया है। हाल ही में नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि जून 2024 से फरवरी 2025 तक की भूकंपीय गतिविधियों और द्वीप की सतह की ऊँचाई में आए बदलावों के विश्लेषण से यह संकेत मिले हैं कि दोनों ज्वालामुखियों को एक ही गहरे मैग्मा स्रोत से ऊर्जा मिलती है।

भूगर्भीय संकेतों की नई व्याख्या की ज़रूरत

GFZ हेल्महोल्ट्ज़ सेंटर फॉर जियोसाइंसेज, जर्मनी के भूभौतिक विज्ञानी मारियस इस्केन और उनकी टीम ने कहा है कि ऐसे जटिल और साझा मैग्मा तंत्र, भूकंपों और संभावित विस्फोटों के संकेतों की व्याख्या को कठिन बना सकते हैं। अध्ययन के अनुसार, अब आवश्यक है कि उच्च-रिज़ॉल्यूशन और वास्तविक समय पर निगरानी तंत्र को और सशक्त किया जाए, जिससे समय पर और सटीक ज्वालामुखी चेतावनियाँ जारी की जा सकें।

ऐतिहासिक रूप से विनाशकारी रहे हैं ये ज्वालामुखी

सैंटोरिनी लगभग 1560 ईसा पूर्व में एक विनाशकारी विस्फोट का केंद्र रहा है, जिसे मिनोअन सभ्यता के पतन से जोड़ा जाता है। इस विस्फोट ने भूकंप, सुनामी और संभवतः ज्वालामुखीय सर्दी (volcanic winter) जैसी आपदाओं को जन्म दिया। कोलंबो ने भी पिछली बार 1650 ईस्वी में विस्फोट किया था।

मैग्मा की गतिविधि और भूकंपीय संकेत

जनवरी 2025 में जब 1,200 से अधिक भूकंप इस क्षेत्र में आए, तो ग्रीस सरकार को आपातकाल घोषित करना पड़ा। हालाँकि कोई विस्फोट नहीं हुआ, लेकिन इन भूकंपों ने वैज्ञानिकों को यह जानने का अवसर दिया कि ज़मीन के नीचे क्या चल रहा है।

  • जुलाई 2024 से सैंटोरिनी द्वीप की सतह कुछ सेंटीमीटर तक उभरी, जो सतही मैग्मा भंडार में मैग्मा के भरने का संकेत था।
  • जनवरी 27 से भूकंपों की दर तेज़ हुई और यह गतिविधि सैंटोरिनी से शुरू होकर उत्तर-पूर्व दिशा में कोलंबो की ओर बढ़ी।
  • उसी समय, GPS डेटा ने दिखाया कि दोनों ज्वालामुखी “डिफ्लेट” हुए यानी उनकी सतह नीची हो गई।

इसका अर्थ यह निकाला गया कि दोनों ज्वालामुखियों को एक ही गहरे मैग्मा स्रोत से आपूर्ति मिलती है। मैग्मा पहले सैंटोरिनी की ओर बढ़ा और फिर वहाँ से कोलंबो की ओर चला गया, जिससे दोनों ज्वालामुखियों ने “एक साथ साँस छोड़ी” जैसी स्थिति दिखाई।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • सैंटोरिनी का 1560 ईसा पूर्व का विस्फोट विश्व इतिहास के सबसे बड़े ज्वालामुखीय विस्फोटों में से एक माना जाता है।
  • कोलंबो ज्वालामुखी सैंटोरिनी से केवल 7 किलोमीटर दूर समुद्र के नीचे स्थित है।
  • बोर्टल स्केल की तरह, ज्वालामुखी विज्ञान में GPS और सिस्मिक डेटा ज्वालामुखीय गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए प्रयोग होता है।
  • इस अध्ययन से पहली बार सैंटोरिनी और कोलंबो के बीच मैग्मा संबंध का प्रत्यक्ष प्रमाण मिला है।
Originally written on September 29, 2025 and last modified on September 29, 2025.

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