सूर्य के पीछे से चमकता लौटा अंतरतारकीय धूमकेतु 3I/ATLAS
 
29 अक्टूबर को सूर्य के सबसे निकटतम बिंदु (perihelion) से गुजरते समय अंतरतारकीय धूमकेतु 3I/ATLAS ने अचानक तेज़ चमक बिखेरी, जिसने वैज्ञानिकों और शौकिया खगोलविदों का ध्यान खींचा। पृथ्वी से सीधी दृष्टि से अदृश्य होने के बावजूद, इस धूमकेतु की गतिविधियों को सूर्य संबंधी अंतरिक्ष मिशनों और कोरोनोग्राफों की मदद से गहराई से देखा गया।
अंतरिक्ष मिशनों से निगरानी
जब 3I/ATLAS पृथ्वी से देखे जाने की दृष्टि में नहीं था, तब वैज्ञानिकों ने सौर-पर्यावरण को देखने वाले अंतरिक्ष यानों का सहारा लिया।
- GOES-19 (CCOR-1): इस उपग्रह ने धूमकेतु की गतिविधि को 24 अक्टूबर तक दर्ज किया।
- SOHO (LASCO C3): NASA और ESA के इस संयुक्त मिशन ने 26 अक्टूबर तक धूमकेतु का पीछा किया।
- NASA’s PUNCH मिशन: इसने सूर्य और हेलियोस्फीयर के मध्य की कड़ी पर शोध करते हुए धूमकेतु की निगरानी की।
कोरोनोग्राफ सूर्य के चमकते डिस्क को छिपा देते हैं, जिससे आसपास की मंद वस्तुओं, जैसे धूमकेतुओं, को देखना संभव होता है।
perihelion के समय चमक में तीव्र वृद्धि
धूमकेतु की चमक में तीव्र वृद्धि देखी गई — अनुमानतः यह ~11 मैग्निट्यूड से बढ़कर ~9 तक पहुँची। यह नग्न आँखों से तो नहीं दिखता, लेकिन अच्छे बैकयार्ड टेलीस्कोप से देखा जा सकता है। यह चमक धूमकेतु के नाभिक पर तीव्र सौर ऊष्मा से उत्पन्न गैस और धूल की बढ़ी हुई गतिविधि का परिणाम मानी जा रही है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 3I/ATLAS एक अंतरतारकीय धूमकेतु है — यह हमारे सौरमंडल के बाहर से आया है।
- इसका perihelion 29 अक्टूबर को हुआ, जब यह सूर्य के सबसे पास पहुँचा।
- यह तीसरा ऐसा पुष्टि किया गया अंतरतारकीय पिंड है जिसे पृथ्वी से देखा गया है (पहले: 1I/ʻOumuamua, 2I/Borisov)।
- इसे GOES-19 (CCOR-1), SOHO (LASCO C3) और NASA’s PUNCH मिशन से ट्रैक किया गया।
पुनः दृष्टिगोचर और वैज्ञानिक मूल्य
अब जब 3I/ATLAS सूर्य के पीछे से निकल रहा है, तो पृथ्वी से उसका अवलोकन दोबारा संभव हो सकेगा, बशर्ते सूर्य की चकाचौंध और स्थानीय संध्या प्रकाश अनुकूल हों। यदि इसकी गतिविधि बनी रहती है, तो छोटे टेलीस्कोपों से इसकी coma और tail देखी जा सकती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, यह धूमकेतु महत्वपूर्ण है क्योंकि यह धूल-से-गैस अनुपात, कणों की गति और आकार का अध्ययन करने का दुर्लभ अवसर देता है। यह अध्ययन अंतरतारकीय धूमकेतुओं की संरचना और व्यवहार को समझने में मदद करेगा, जो अब तक पृथ्वी से देखे गए गिने-चुने मामलों में से एक है।
