सुरों और अभिनय की स्वरमयी पहचान: सुलक्षणा पंडित का निधन
हिंदी सिनेमा और संगीत जगत की लोकप्रिय पार्श्वगायिका व अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित का 6 नवंबर 2025 को मुंबई में निधन हो गया। 71 वर्षीय गायिका को लंबे समय से बीमार रहने के बाद हृदयगति रुकने के कारण नानावटी अस्पताल में अंतिम सांस लेते हुए देखा गया। उनके भाई व प्रसिद्ध संगीतकार ललित पंडित ने जानकारी दी कि अंतिम संस्कार 7 नवंबर को दोपहर 12 बजे मुंबई में संपन्न होगा।
एक स्वर्णिम आवाज़ जिसने युग को परिभाषित किया
सुलक्षणा पंडित की आवाज़ ने 1970 के दशक में हिंदी सिनेमा में प्रेमगीतों और भक्ति रचनाओं को नई ऊंचाइयाँ दीं। ‘तू ही सागर है तू ही किनारा’ (संकल्प, 1975) जैसे गीत से उन्हें राष्ट्रीय पहचान और सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ।
उनकी गायिकी में शास्त्रीय परंपरा और मुख्यधारा की अपील का सुंदर संतुलन था। ‘सात समंदर पार से’ (तक़दीर, 1967) जैसे युगल गीतों में उनका स्वर नियंत्रण और भावनात्मक गहराई स्पष्ट रूप से झलकती है।
एक संगीत परिवार से सिनेमा तक का सफर
12 जुलाई 1954 को रायगढ़, छत्तीसगढ़ में जन्मी सुलक्षणा, सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित जसराज की भतीजी और संगीतकार जोड़ी जतिन–ललित की बहन थीं। बचपन से ही संगीत में प्रशिक्षित सुलक्षणा ने 9 वर्ष की उम्र में मंच पर प्रस्तुति शुरू की और किशोरावस्था में फिल्मों में पार्श्वगायन प्रारंभ किया।
1970 के दशक के मध्य तक उनकी विशिष्ट आवाज़ और स्पष्ट उच्चारण ने उन्हें कई प्रमुख संगीतकारों और अभिनेताओं की पसंदीदा गायिका बना दिया।
अभिनय की ओर बढ़ते कदम
गायन के साथ ही सुलक्षणा ने अभिनय में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उनकी अभिनय यात्रा की शुरुआत ‘उलझन’ (1975) से हुई, जिसमें वे संजीव कुमार के साथ नज़र आईं। इसके बाद ‘संकोच’ (1976), ‘हेरा फेरी’, ‘अपनापन’, ‘खानदान’ और ‘वक्त की दीवार’ जैसी फिल्मों में उन्होंने अभिनय किया।
राजेश खन्ना, जीतेंद्र, विनोद खन्ना, शशि कपूर और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे कलाकारों के साथ स्क्रीन शेयर करते हुए उन्होंने अभिनय में भावनात्मक संतुलन और गरिमा का परिचय दिया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सुलक्षणा पंडित का निधन 6 नवंबर 2025 को मुंबई में हुआ; अंतिम संस्कार 7 नवंबर को होगा।
- फिल्म ‘संकल्प’ (1975) के लिए फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका पुरस्कार से सम्मानित।
- संगीत परिवार से संबंध: पंडित जसराज की भतीजी और जतिन–ललित की बहन।
- अभिनय में पदार्पण ‘उलझन’ (1975) से; 1970–80 के दशक में कई यादगार भूमिकाएँ।
व्यक्तिगत जीवन और विदाई का संयोग
सुलक्षणा पंडित का व्यक्तिगत जीवन भी अक्सर चर्चाओं में रहा, विशेष रूप से उनके संजीव कुमार के प्रति स्नेह को लेकर। दुर्भाग्यवश, संजीव कुमार के निधन (1985) के बाद वे कभी विवाह नहीं कर सकीं और फिल्मों से भी धीरे-धीरे दूर होती गईं — और विशेष रूप से यह संयोग भी उल्लेखनीय है कि दोनों का निधन 6 नवंबर को ही हुआ।
उनके अंतिम संस्कार में परिवार, सहकर्मी और प्रशंसक सम्मिलित होकर उस प्रतिभा को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे जिसने अपनी मधुर आवाज़ और भावनात्मक अभिनय से हिंदी सिनेमा की विरासत को समृद्ध किया।