सतत विकास लक्ष्य रिपोर्ट 2025: सामाजिक सुरक्षा और कृषि में भारत की उल्लेखनीय प्रगति

भारत ने सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में निरंतर प्रगति की है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में अब भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। 19वें राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के अवसर पर रविवार को जारी ‘नेशनल इंडिकेटर फ्रेमवर्क प्रगति रिपोर्ट 2025’ में यह जानकारी सामने आई। रिपोर्ट में 17 लक्ष्यों के तहत 284 संकेतकों का विश्लेषण किया गया है, जो देश के विभिन्न मंत्रालयों से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है। रिपोर्ट 2015-16 से लेकर 2024-25 तक की समय-श्रृंखला में भारत की उपलब्धियों और कमियों का समग्र आकलन प्रस्तुत करती है।
सामाजिक सुरक्षा और वृद्धजन कल्याण में व्यापक विस्तार
साल 2016 में केवल 22 प्रतिशत जनसंख्या किसी न किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा के दायरे में थी, जो 2025 में बढ़कर 64.3 प्रतिशत हो गई है। इसी प्रकार वरिष्ठ नागरिकों को संस्थागत सहायता प्राप्त कराने में भी सरकार ने बड़ी छलांग लगाई है। 2015 में जहां 23,000 वरिष्ठ नागरिकों को सहायता प्राप्त थी, वहीं 2023–24 में यह संख्या बढ़कर 1.57 लाख हो गई है।
कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की उत्पादकता में इजाफा
कृषि में प्रति श्रमिक सकल मूल्य वर्धन (GVA) 2015–16 में ₹61,247 था, जो 2024–25 में बढ़कर ₹94,110 हो गया है। यह संकेत करता है कि देश में कृषि श्रमिकों की आय और उत्पादकता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान करता है।
शिक्षा और असमानता में सुधार
उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 2015–16 में 23.7 प्रतिशत था, जो 2022–23 में बढ़कर 29.5 प्रतिशत हो गया है। इसके अतिरिक्त, खर्च में असमानता को मापने वाला गिनी गुणांक ग्रामीण क्षेत्रों में 0.283 से घटकर 0.237 और शहरी क्षेत्रों में 0.363 से घटकर 0.284 हो गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि खर्च की समानता की दिशा में ठोस प्रगति हुई है।
जल, ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण
ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित पेयजल स्रोत का उपयोग करने वाली जनसंख्या का प्रतिशत 2015–16 में 94.57 प्रतिशत था, जो 2024–25 में बढ़कर 99.62 प्रतिशत हो गया है। हालांकि स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अपेक्षित गति नहीं दिखाई दी है — नवीकरणीय ऊर्जा की कुल स्थापित बिजली क्षमता में हिस्सेदारी केवल 22.13 प्रतिशत तक ही पहुँच पाई है, जो 2015–16 में 16.02 प्रतिशत थी। वन क्षेत्र में भी मामूली वृद्धि दर्ज की गई है, जो 2015 में 21.34 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 21.76 प्रतिशत हो गया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सांख्यिकी दिवस: भारत सरकार ने प्रो. पी.सी. महालनोबिस के जन्मदिन 29 जून को ‘सांख्यिकी दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया था।
- गिनी गुणांक: यह आर्थिक असमानता को मापने का एक प्रमुख पैमाना है, जिसमें 0 पूर्ण समानता और 1 पूर्ण असमानता को दर्शाता है।
- नेशनल इंडिकेटर फ्रेमवर्क (NIF): भारत में SDG की प्रगति मापने के लिए 284 संकेतकों वाला ढांचा, जिसे विभिन्न मंत्रालयों के सहयोग से संचालित किया जाता है।
- GoIStats मोबाइल ऐप: MoSPI द्वारा लॉन्च किया गया ऐप जो GDP, मुद्रास्फीति और रोजगार जैसे प्रमुख सामाजिक-आर्थिक डेटा को आसान पहुँच में लाता है।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत ने सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में उल्लेखनीय प्रगति की है, विशेषकर सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा और कृषि उत्पादकता में। फिर भी, स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्रों में अब भी अपेक्षाकृत अधिक प्रयासों की आवश्यकता है। तकनीकी नवाचार और आंकड़ों के प्रभावी उपयोग के माध्यम से भारत ‘विकसित भारत’ की ओर अग्रसर है।