“सगरमाथा फ्रेंडशिप-2025” सैन्य अभ्यास: नेपाल-चीन रक्षा सहयोग और भारत के लिए संभावित रणनीतिक संकेत

नेपाल और चीन की सेनाओं ने संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘सगरमाथा फ्रेंडशिप-2025’ का चौथा संस्करण काठमांडू में आरंभ किया है। यह अभ्यास 16 सितंबर तक चलेगा और इसका उद्देश्य आतंकवाद विरोधी अभियानों, आपदा प्रबंधन तथा संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में सहयोग को सुदृढ़ करना है। यह अभ्यास पहली बार 2017 में शुरू हुआ था और इसे बारी-बारी से नेपाल और चीन में आयोजित किया जाता है।
अभ्यास के प्रमुख उद्देश्य और गतिविधियाँ
सगरमाथा फ्रेंडशिप-2025 अभ्यास में शामिल गतिविधियाँ इस प्रकार हैं:
- आतंकवाद विरोधी संयुक्त अभियान का प्रशिक्षण
- आपदा राहत एवं बचाव कार्यों का अभ्यास
- संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों की भूमिका संबंधी ड्रिल्स
- सैन्य ज्ञान विनिमय, संयुक्त स्पर्धाएँ और सांस्कृतिक आदान-प्रदान
नेपाली सेना के अनुसार यह अभ्यास दोनों सेनाओं की सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के साथ-साथ आपसी विश्वास और सैन्य समन्वय को सुदृढ़ करेगा। चीनी सैनिकों ने काठमांडू आने से पहले विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया और उन्हें Xizang सैन्य कमान से रवाना किया गया।
नेपाल-चीन संबंधों की पृष्ठभूमि
नेपाल ने अपनी विदेश नीति के तहत भारत और चीन के साथ संतुलन बनाने की रणनीति अपनाई है। हाल के वर्षों में चीन का नेपाल में प्रभाव तेज़ी से बढ़ा है, विशेष रूप से 2015 की भारत-नेपाल आर्थिक नाकाबंदी के बाद। उस समय चीन ने नेपाल की राजनीति में सक्रिय हस्तक्षेप किया और नेपाल की दो प्रमुख कम्युनिस्ट पार्टियों को एकजुट करने में भूमिका निभाई।
- राजनीतिक संबंध: चीन का नेपाल के माओवादी आंदोलन से ऐतिहासिक संबंध रहा है और उसने वैचारिक और सामरिक समर्थन भी दिया है।
- आर्थिक सहयोग: बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत चीन नेपाल में रेलवे, बंदरगाह और पनबिजली परियोजनाओं में निवेश कर रहा है।
- सुरक्षा सहयोग: सैन्य अभ्यासों, प्रशिक्षण और सैन्य सहायता के ज़रिए चीन और नेपाल के रक्षा संबंध मज़बूत हो रहे हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ‘सगरमाथा फ्रेंडशिप’ सैन्य अभ्यास का यह चौथा संस्करण है।
- अभ्यास का उद्देश्य आतंकवाद निरोध, आपदा प्रबंधन और शांति मिशन में साझा संचालन क्षमता बढ़ाना है।
- अभ्यास 16 सितंबर 2025 तक काठमांडू, नेपाल में चलेगा।
- यह अभ्यास 2017 से नेपाल और चीन के बीच बारी-बारी से आयोजित होता है।
भारत के लिए रणनीतिक संकेत
- सुरक्षा चुनौती: नेपाल में चीन की बढ़ती उपस्थिति भारत के लिए ‘रणनीतिक घेराव’ (Strategic Encirclement) की चिंता उत्पन्न करती है।
- आर्थिक प्रतिस्पर्धा: नेपाल में चीनी निवेश और परियोजनाएँ भारत के आर्थिक हितों और संसाधनों तक पहुँच को प्रभावित कर सकती हैं।
- क्षेत्रीय समन्वय में बाधा: चीन की निकटता से नेपाल भारत की दक्षिण एशिया नीति में समन्वय की चुनौती बन सकता है।
- BRI का प्रभाव: नेपाल की चीन-प्रेरित अवसंरचनात्मक निर्भरता भविष्य में भारत के लिए भू-राजनीतिक असंतुलन का कारण बन सकती है।
नेपाल-चीन सैन्य अभ्यास न केवल दोनों देशों के रक्षा संबंधों में वृद्धि का संकेत है, बल्कि यह भारत के लिए एक कूटनीतिक चेतावनी भी है। बदलते दक्षिण एशियाई परिदृश्य में भारत को नेपाल के साथ अपने संबंधों को रणनीतिक रूप से पुनर्संतुलित करने की आवश्यकता है।