शहरी सहकारी बैंकों के लिए नया नियम: ECBA फ्रेमवर्क से बदलेगा पुराना मानक

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) के लिए नए लाइसेंसिंग और अनुमति मानकों की घोषणा की है। वर्तमान “वित्तीय रूप से सक्षम और सुशासित” (FSWM) मानकों की जगह अब नया “व्यवसाय प्राधिकरण के लिए पात्रता मानदंड” (ECBA – Eligibility Criteria for Business Authorisation) फ्रेमवर्क लागू किया जाएगा।

ECBA क्या है और क्यों लाया गया?

ECBA का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शहरी सहकारी बैंक केवल तभी नए व्यवसाय विस्तार जैसे कि शाखाएं, एटीएम, प्रोसेसिंग सेंटर आदि खोल सकें, जब वे पूंजी, लाभ, परिसंपत्ति गुणवत्ता और नियामकीय अनुपालन मानकों को पूरा करते हों। यह नया ढांचा बैंकों की पारदर्शिता, स्थायित्व और संचालन दक्षता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है।

ECBA के तहत प्रमुख शर्तें

  • बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CRAR) नियामकीय न्यूनतम स्तर से ऊपर होना चाहिए।
  • नेट एनपीए 3% से अधिक नहीं होना चाहिए।
  • पिछले दो वित्तीय वर्षों में लगातार लाभ में होना चाहिए और बैलेंस शीट पर कोई संचित घाटा नहीं होना चाहिए।
  • नकद आरक्षित अनुपात (CRR) और वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) में कोई चूक नहीं होनी चाहिए।
  • कोर बैंकिंग सॉल्यूशन (CBS) पूरी तरह से लागू होना चाहिए।
  • बैंक RBI के निर्देशों या PCA (Prompt Corrective Action) फ्रेमवर्क के अधीन नहीं होना चाहिए।
  • निदेशक मंडल में कम से कम दो पेशेवर निदेशक होने चाहिए।

संचालन विस्तार के लिए दिशानिर्देश

  • तीसरे और चौथे स्तर के UCBs (जिनके जमा ₹1,000 करोड़ से अधिक हैं) यदि ECBA के अनुरूप हैं और ₹50 करोड़ या अधिक की नेट वर्थ रखते हैं, तो वे RBI की अनुमति से राज्य सीमा से बाहर दो अन्य राज्यों में विस्तार कर सकते हैं, बशर्ते वहाँ हर राज्य में कम से कम पांच शाखाएं खोलने की पूंजी हो।
  • एक UCB अपने पंजीकरण जिले के भीतर पूरे जिले में बिना पूर्व अनुमति के कार्यक्षेत्र बढ़ा सकता है।
  • ECBA के अनुरूप UCB राज्य के भीतर तीन अतिरिक्त जिलों में बिना पूर्व अनुमति के विस्तार कर सकते हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ECBA फ्रेमवर्क FSWM की जगह लेगा, जो अब तक शहरी सहकारी बैंकों के लिए मानक था।
  • UCBs को अब हर साल 31 मार्च की ऑडिट की गई वित्तीय स्थिति के आधार पर अपनी ECBA अनुपालन स्थिति निर्धारित करनी होगी।
  • RBI ने ड्राफ्ट पर टिप्पणियाँ आमंत्रित की हैं, जिसकी अंतिम तिथि 25 अगस्त 2025 है।
  • RBI ने UCBs को चार स्तरों में वर्गीकृत किया है, जिसमें Tier 3 और Tier 4 बड़े बैंक आते हैं।

उद्देश्य और प्रभाव

इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल मजबूत वित्तीय स्थिति वाले सहकारी बैंक ही व्यवसाय का विस्तार कर सकें। इससे क्षेत्रीय असंतुलन कम होगा, बैंकों की जोखिम क्षमता सुधरेगी, और ग्राहक सेवा भी बेहतर होगी। साथ ही, यह नियामकीय निगरानी को भी अधिक प्रभावी बनाएगा।
इस प्रकार, ECBA फ्रेमवर्क सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता, स्थायित्व और उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कदम है।

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