वैश्विक व्यापार में अस्थिरता पर भारत की चिंता: एस. जयशंकर का BRICS में सशक्त संदेश

वैश्विक व्यापार में अस्थिरता पर भारत की चिंता: एस. जयशंकर का BRICS में सशक्त संदेश

ब्रिक्स नेताओं के शिखर सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक अहम संदेश देते हुए व्यापारिक उपायों को गैर-व्यापारिक मुद्दों से जोड़ने की प्रवृत्ति पर गहरी चिंता जताई। उनका यह बयान अमेरिका द्वारा भारत पर रूसी तेल खरीद के चलते अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने की पृष्ठभूमि में आया है। उन्होंने “स्थिर और पूर्वानुमेय व्यापारिक वातावरण” की आवश्यकता पर बल देते हुए वैश्विक व्यापार प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्राथमिकता देने की बात कही।

वैश्विक संदर्भ और अमेरिका की भूमिका

  • हाल ही में अमेरिका ने भारत और ब्राजील दोनों पर 50% तक के टैरिफ लगाए हैं।
  • जयशंकर ने इन टैरिफों को लेकर “व्यापारिक निर्णयों को राजनीतिक और रणनीतिक कारणों से प्रभावित करने” को अनुचित बताया।
  • उन्होंने स्पष्ट कहा कि व्यापार बाधाओं को बढ़ाने और लेन-देन को जटिल बनाने से वैश्विक अर्थव्यवस्था को लाभ नहीं होगा

ब्रिक्स में भारत का दृष्टिकोण

शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने की, जिसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित अन्य नेता शामिल हुए। भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुपस्थिति में एस. जयशंकर ने प्रतिनिधित्व किया — यह अमेरिका और रूस के बीच संतुलन बनाए रखने की भारत की कूटनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
जयशंकर ने ब्रिक्स मंच पर जोर देकर कहा:

  • भारत को BRICS देशों के साथ व्यापार घाटा है, और उसने इन मुद्दों के त्वरित समाधान के लिए दबाव डाला है।
  • बहुपक्षीय प्रणाली की विफलता और SDG एजेंडा की मंदी पर चिंता व्यक्त की।
  • यूक्रेन और पश्चिम एशिया में संघर्ष के कारण विकास और आपूर्ति श्रृंखला पर प्रतिकूल प्रभाव डाला गया है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • अमेरिका ने भारत और ब्राज़ील पर 50% टैरिफ लगाए हैं, रूस से तेल खरीद के कारण।
  • BRICS में भारत, ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।
  • जयशंकर ने ग्लोबल साउथ में खाद्य, ऊर्जा और उर्वरक संकट का मुद्दा उठाया।
  • भारत ने आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक लचीला और क्षेत्रीय बनाने पर बल दिया।
  • जयशंकर ने कहा कि भारत का व्यापारिक दृष्टिकोण निष्पक्ष, पारदर्शी और समावेशी होना चाहिए, जो विकासशील देशों को विशेष प्राथमिकता देता है।

बहुपक्षीय सुधार की आवश्यकता

जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और WTO जैसे बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि इन संस्थानों की विफलता के कारण विश्व व्यवस्था अस्थिर हो रही है, और “चयनात्मक संरक्षण” से वैश्विक समाधान नहीं निकलेगा।

Originally written on September 10, 2025 and last modified on September 10, 2025.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *