‘वीर परिवार सहायता योजना’: सैनिकों के परिवारों के लिए न्याय की नई संकल्पना

26वें कारगिल विजय दिवस के अवसर पर नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA) ने एक नई योजना ‘वीर परिवार सहायता योजना’ का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य सैनिकों और उनके परिवारों को नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करना है। यह ऐतिहासिक पहल न्याय की संवैधानिक दृष्टि को सैनिकों और जनजातीय समुदायों तक पहुँचाने की दिशा में एक अहम कदम है।

योजना का उद्देश्य और कार्यान्वयन

NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत के नेतृत्व में शुरू की गई इस योजना का मुख्य उद्देश्य है:

  • सैनिक कल्याण बोर्डों (जिला, राज्य और केंद्रीय स्तर पर) में कानूनी सेवा क्लीनिक स्थापित करना।
  • पैनल वकीलों और पैरा-लीगल वॉलंटियर्स के माध्यम से सैनिकों और उनके परिवारों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करना।
  • सेवारत और सेवानिवृत्त सैनिकों की कानूनी समस्याओं जैसे भूमि विवाद, पारिवारिक विवाद, सेवा संबंधित मामलों में सहायता करना।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • यह योजना NALSA की स्थापना के 30 वर्षों की उपलब्धि को समर्पित है।
  • इसे श्रीनगर में आयोजित उत्तर क्षेत्रीय सम्मेलन में लांच किया गया, जिसका विषय था: “सैनिकों और जनजातीय समुदायों के लिए न्याय की संवैधानिक दृष्टि की पुनर्पुष्टि”।
  • पहली बार हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर स्थित Ex-Servicemen Corporation मुख्यालय में एक कानूनी सेवा केंद्र की भी वर्चुअल शुरुआत की गई।

योजना की आवश्यकता क्यों?

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि सैनिकों को भी आम नागरिकों की तरह कई कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन दूरस्थ क्षेत्रों में तैनाती के कारण वे इन मामलों का पीछा नहीं कर सकते। उदाहरण के तौर पर, जम्मू-कश्मीर में तैनात एक सैनिक को राजस्थान में चल रहे पारिवारिक भूमि विवाद में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना संभव नहीं है।
योजना के अंतर्गत, सेना के परिवारों और पूर्व सैनिकों को पैरा-लीगल वॉलंटियर्स के रूप में शामिल करने का भी प्रयास किया जाएगा, जिससे वे स्वयं भी दूसरों की मदद कर सकें।

नीति में समावेशन की पहल

इस योजना के अंतर्गत अर्धसैनिक बलों (BSF, CRPF, ITBP आदि) के जवानों और उनके परिवारों को भी शामिल किया गया है। विशेष रूप से उन जवानों को ध्यान में रखते हुए जो सीमावर्ती और जोखिमपूर्ण क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं।

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