लॉस एंजिलिस ओलंपिक 2028 में ट्रांसजेंडर महिलाओं पर संभावित प्रतिबंध
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) लॉस एंजिलिस 2028 ओलंपिक खेलों में एक नया सार्वभौमिक नियम लागू करने पर विचार कर रही है, जिसके तहत ट्रांसजेंडर महिलाओं को महिला श्रेणियों में भाग लेने से रोका जा सकता है। इसे “न्यायसंगत प्रतिस्पर्धा” सुनिश्चित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन यह वर्तमान खेल-विशिष्ट नीति से एक बड़ा बदलाव होगा। अभी तक IOC ने इस पर अंतिम निर्णय की घोषणा नहीं की है, परंतु बताया जा रहा है कि एक कार्य समूह इस नियम का प्रारूप और लागू करने की समयरेखा तैयार कर रहा है।
प्रस्तावित नियम से क्या बदलेगा
वर्तमान में प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघ अपने खेल के अनुसार पात्रता मानक तय करता है, जिनमें प्रायः टेस्टोस्टेरोन स्तर और प्रदर्शन से जुड़े जोखिम आकलन शामिल होते हैं। लेकिन यदि IOC एक समान नियम लागू करता है, तो यह व्यवस्था समाप्त होकर सभी खेलों में एकल मानक लागू होगा। इस कदम का उद्देश्य “महिला श्रेणी की सुरक्षा”, नियमों का सरल प्रवर्तन, और कानूनी विवादों में कमी बताया जा रहा है। आलोचकों का कहना है कि ऐसा करने से समावेशन और खिलाड़ी की स्वायत्तता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, खासकर उन खेलों में जो कौशल-आधारित या गैर-संपर्क प्रकृति के हैं।
ट्रांसजेंडर और DSD खिलाड़ियों पर प्रभाव
यह प्रस्ताव सीधे तौर पर उन ट्रांसजेंडर महिलाओं को प्रभावित करेगा जिन्होंने पुरुष यौवन के बाद लिंग परिवर्तन किया है। साथ ही, यह “सेक्स डेवेलपमेंट में अंतर” (DSD) वाले खिलाड़ियों से जुड़ी बहस को भी फिर से उभार सकता है। पेरिस 2024 ओलंपिक के दौरान कुछ DSD एथलीटों ने ऊँचे प्राकृतिक टेस्टोस्टेरोन स्तर के बावजूद भाग लिया था, जिससे कई विवाद पैदा हुए। अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, चिकित्सा और कानूनी विशेषज्ञ इस बात पर सहमत नहीं हैं कि DSD और जेंडर आइडेंटिटी के मामलों को समान नियमों के अंतर्गत लाया जा सकता है, क्योंकि दोनों के वैज्ञानिक और मानवाधिकार पहलू अलग-अलग हैं।
नीति प्रक्रिया और समयरेखा
यदि यह प्रस्ताव आगे बढ़ता है, तो इसे IOC की नीति प्रक्रिया से गुजरना होगा, जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय महासंघ इसे अपने पात्रता नियमों में शामिल करेंगे। रिपोर्टों के अनुसार, इसकी घोषणा 2025 की शुरुआत में और चरणबद्ध क्रियान्वयन 2026 शीतकालीन ओलंपिक से पहले किया जा सकता है। प्रमुख निर्धारक कारकों में वैज्ञानिक समीक्षा, कानूनी जोखिम मूल्यांकन, और खिलाड़ियों, मानवाधिकार संगठनों तथा राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों से परामर्श शामिल होगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- वर्तमान में ओलंपिक पात्रता प्रत्येक खेल महासंघ तय करता है।
- IOC अब एक समान वैश्विक नियम पर विचार कर रहा है।
- ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के लिए सामान्यतः टेस्टोस्टेरोन सीमा मानक उपयोग होता है।
- DSD मामलों को कई महासंघ अलग-अलग नियमों से संचालित करते हैं।
- नीति परिवर्तन में निष्पक्षता, सुरक्षा, समावेशन और मानवाधिकार संतुलन आवश्यक है।
भावी प्रभाव और चुनौतियाँ
यदि सार्वभौमिक प्रतिबंध लागू किया गया तो ओलंपिक पात्रता प्रणाली, चिकित्सा समीक्षा प्रक्रियाएँ और अपील व्यवस्थाएँ व्यापक रूप से बदली जाएँगी। महासंघों को स्पष्ट परिभाषाएँ, संक्रमण प्रावधान, और डेटा गोपनीयता सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। इसके अलावा, कानूनी चुनौतियाँ और राष्ट्रीय नीतियों से टकराव की संभावना भी बढ़ेगी।विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुद्दा खेलों में “प्रतिस्पर्धी समानता बनाम समावेशन” के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है, जहाँ भविष्य में “ओपन” या अतिरिक्त श्रेणियों की अवधारणा को गंभीरता से अपनाया जा सकता है।