लेजर सुरक्षा में टेक्टोना ग्रैंडिस (सागौन) की पत्तियों की नई भूमिका: पर्यावरण-अनुकूल समाधान की ओर एक कदम

लेजर सुरक्षा में टेक्टोना ग्रैंडिस (सागौन) की पत्तियों की नई भूमिका: पर्यावरण-अनुकूल समाधान की ओर एक कदम

तेजी से विकसित हो रही लेजर तकनीक के इस युग में, मानव नेत्रों और संवेदनशील ऑप्टिकल उपकरणों को उच्च-शक्ति लेजर किरणों से सुरक्षित रखना अत्यंत आवश्यक हो गया है। चिकित्सा, रक्षा और औद्योगिक क्षेत्रों में लेजर उपकरणों के व्यापक उपयोग ने ऐसे सुरक्षा उपायों की मांग को और बढ़ा दिया है। इस संदर्भ में, रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट (RRI), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने सागौन (टेक्टोना ग्रैंडिस) की पत्तियों से एक अत्यंत उपयोगी प्राकृतिक समाधान की खोज की है।

सागौन की पत्तियाँ: कचरा नहीं, बल्कि उच्च तकनीकी संपदा

आमतौर पर कृषि कचरे के रूप में मानी जाने वाली सागौन की पत्तियाँ, एंथोसाइनिन नामक प्राकृतिक रंजकों से भरपूर होती हैं। RRI की टीम ने इन रंजकों में पाए गए नॉनलाइनियर ऑप्टिकल (NLO) गुणों का उपयोग कर एक नई दिशा का मार्ग प्रशस्त किया है — ऑप्टिकल पॉवर लिमिटिंग।

शोध प्रक्रिया और निष्कर्ष

वैज्ञानिकों ने सागौन की पत्तियों को सुखाकर उनका पाउडर बनाया, फिर उसे सॉल्वेंट में मिलाकर अल्ट्रासोनिकेशन और सेंट्रीफ्यूगेशन की मदद से शुद्ध अर्क निकाला। इस गाढ़े भूरा-लाल रंग के रंजक पर ग्रीन लेजर का प्रयोग कर दो स्तरों पर परीक्षण किए गए — एक निरंतर प्रकाश (continuous wave) और दूसरा पल्स (pulsed beam)। परिणामों ने दिखाया कि यह रंजक रिवर्स सैचुरेबल एब्जॉर्प्शन (RSA) दिखाता है — अर्थात, प्रकाश जितना तीव्र होता है, रंग उतना अधिक उसे अवशोषित करता है।
यह गुण लेजर सुरक्षा उपकरणों, जैसे कि गॉगल्स और ऑप्टिकल सेंसर शील्ड्स, के लिए अत्यंत आवश्यक है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • स्रोत: सागौन (Tectona grandis) की पत्तियाँ
  • प्रमुख यौगिक: एंथोसाइनिन (प्राकृतिक रंग)
  • प्रयोगशाला: रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट, DST द्वारा वित्तपोषित
  • मुख्य प्रयोग: Z-Scan, SSPM (Spatial Self-Phase Modulation)
  • गुण: रिवर्स सैचुरेबल एब्जॉर्प्शन (RSA)

पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ

अब तक के ऑप्टिकल लिमिटर जैसे ग्राफीन, फुलरीन और धातु नैनोकण महंगे और पर्यावरण के लिए हानिकारक रहे हैं। इसके विपरीत, सागौन की पत्तियाँ एक प्राकृतिक, जैविक, विष-रहित और जैव-अपघट्य विकल्प प्रदान करती हैं, जिसे सामान्य प्रक्रियाओं द्वारा आसानी से तैयार किया जा सकता है।

भविष्य की संभावनाएँ

इस खोज से पर्यावरण-अनुकूल लेजर-सुरक्षा उपकरणों जैसे गॉगल्स, सेंसर कोटिंग्स, और उच्च शक्ति वाले ऑप्टिकल सिस्टम में प्राकृतिक समाधान के द्वार खुलते हैं। भविष्य के अध्ययन इस रंग को लंबे समय तक स्थिर बनाने और व्यावसायिक उपयोग के लिए उपयुक्त बनाने पर केंद्रित हो सकते हैं।
यह शोध न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से उन्नत है, बल्कि यह भारत की स्थायी तकनीकी विकास की दिशा में एक प्रेरक और व्यावहारिक पहल भी है। प्राकृतिक संसाधनों का ऐसा अभिनव उपयोग भारत को पर्यावरणीय दृष्टि से अग्रणी प्रौद्योगिकी राष्ट्र बनने की दिशा में मजबूत करता है।

Originally written on June 28, 2025 and last modified on June 28, 2025.

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