लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण का नया युग: पहले बैच को रक्षामंत्री ने दिखाई हरी झंडी

लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण का नया युग: पहले बैच को रक्षामंत्री ने दिखाई हरी झंडी

भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज लखनऊ स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस यूनिट से निर्मित पहले बैच की ब्रह्मोस मिसाइलों को झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर दोनों नेताओं ने बूस्टर बिल्डिंग का उद्घाटन किया और बूस्टर डॉकिंग प्रक्रिया का प्रत्यक्ष अवलोकन किया।

ब्रह्मोस: शक्ति, सटीकता और गति का संगम

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर कहा कि अब पाकिस्तान का हर इंच ब्रह्मोस मिसाइल की पहुंच में है और इसकी शक्ति से पूरा देश परिचित है। उन्होंने कहा कि अब देश के दुश्मनों के पास भागने का कोई रास्ता नहीं बचा है। “ऑपरेशन सिंदूर केवल एक ट्रेलर था,” उन्होंने जोड़ा, जिससे यह संकेत मिलता है कि भविष्य में भारत की सामरिक क्षमताओं का और व्यापक प्रदर्शन संभव है।
उन्होंने ब्रह्मोस को एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती स्वदेशी रक्षा निर्माण क्षमता का प्रतीक बताया। ब्रह्मोस मिसाइल पारंपरिक वारहेड, उन्नत गाइडेड प्रणाली और सुपरसोनिक गति के साथ लंबी दूरी तक सटीक प्रहार करने में सक्षम है। रक्षामंत्री के अनुसार, इसकी गति, सटीकता और शक्ति का संयोजन इसे विश्व की सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों में से एक बनाता है।

लखनऊ यूनिट: उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर का गौरव

लखनऊ की ब्रह्मोस एयरोस्पेस यूनिट उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर की पहली ऐसी सुविधा है, जहां मिसाइल निर्माण से लेकर परीक्षण तक की पूरी प्रक्रिया पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से सम्पन्न होती है। यह इकाई भारत की रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को दर्शाने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
रक्षामंत्री ने कहा कि भारत अब रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है और कई देश भारत के साथ तकनीकी सहयोग में रुचि दिखा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में ब्रह्मोस टीम ने दो देशों के साथ चार हजार करोड़ रुपये के रक्षा समझौते किए हैं, जो भारत के रक्षा निर्यात की दिशा में बड़ी उपलब्धि है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित की गई है।
  • यह मिसाइल ज़मीन, समुद्र और वायु से दागी जा सकती है और 2.8 मैक की गति से लक्ष्य को भेद सकती है।
  • उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर छह जिलों (अलीगढ़, आगरा, झांसी, चित्रकूट, कानपुर और लखनऊ) में फैला है।
  • ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदियों के नाम पर रखा गया है।
Originally written on October 20, 2025 and last modified on October 20, 2025.

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