रूस में शुरू हुआ ज़ापाड-2025: भारतीय सशस्त्र बलों की भागीदारी और अंतरराष्ट्रीय तनाव का नया अध्याय

10 से 16 सितंबर 2025 तक रूस के निज़नी स्थित मुलिनो ट्रेनिंग ग्राउंड में आयोजित बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास ज़ापाड-2025 (Zapad-2025) में भारत समेत 20 से अधिक देशों की सेनाएं भाग ले रही हैं। इस अभ्यास का उद्देश्य पारंपरिक युद्ध और आतंकवाद विरोधी अभियानों के क्षेत्र में सैन्य सहयोग बढ़ाना, इंटरऑपरेबिलिटी को सुधारना और तकनीकी एवं रणनीतिक आदान-प्रदान को सशक्त बनाना है।
भारत की सक्रिय भागीदारी
भारत से कुल 65 सैन्यकर्मी इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं, जिनमें 57 भारतीय सेना, 7 वायुसेना और 1 नौसेना के जवान शामिल हैं। भारतीय दल का नेतृत्व कुमाऊं रेजिमेंट की एक बटालियन कर रही है, साथ ही अन्य शाखाओं और सेवाओं के सैनिक भी इस दल में सम्मिलित हैं।
अभ्यास के दौरान सैनिक खुले और समतल क्षेत्रों में कंपनी स्तर के संयुक्त अभियानों का अभ्यास करेंगे, जिसमें सामूहिक योजना, सामरिक ड्रिल, और विशेष हथियार कौशल शामिल होंगे। इसके माध्यम से भारत को बहुराष्ट्रीय युद्ध परिदृश्य में अपनी सामूहिक संचालन क्षमता को मजबूत करने और उभरती तकनीकों के एकीकरण का व्यावहारिक अनुभव मिलेगा।
क्षेत्रीय तनाव और जियोपॉलिटिकल प्रतिक्रियाएँ
जहाँ एक ओर ज़ापाड-2025 सैन्य सहयोग का मंच है, वहीं दूसरी ओर इसके कारण नाटो देशों में चिंताओं की लहर दौड़ गई है। पोलैंड ने सुरक्षा कारणों से बेलारूस के साथ अपनी सीमा को गुरुवार की मध्यरात्रि से बंद करने की घोषणा की है। पोलिश प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क और गृह मंत्री ने स्पष्ट किया है कि सीमा तब तक नहीं खुलेगी जब तक नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित न हो जाए।
इन सैन्य अभ्यासों में रणनीतिक परमाणु हथियारों और रूस के ओरेश्निक हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली का परीक्षण भी शामिल है, जिसे रूस की सामरिक रोकथाम क्षमता के रूप में देखा जा रहा है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ज़ापाड अभ्यास हर कुछ वर्षों में रूस और बेलारूस द्वारा आयोजित किया जाता है।
- ज़ापाड-2025 में भारत, ईरान, चीन सहित 20 से अधिक देशों की सेनाएँ भाग ले रही हैं।
- भारतीय सशस्त्र बलों की भागीदारी में 57 थलसेना, 7 वायुसेना, और 1 नौसेना का सैनिक शामिल है।
- अभ्यास में परमाणु परिदृश्य और हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण जैसे संवेदनशील तत्व भी शामिल हैं।