रामसर सम्मेलन में भारत की पहल को वैश्विक समर्थन: आर्द्रभूमियों के संरक्षण हेतु टिकाऊ जीवनशैली को बढ़ावा

भारत ने जिम्बाब्वे के विक्टोरिया फॉल्स में आयोजित 15वें रामसर कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (CoP15) में ‘आर्द्रभूमियों के विवेकपूर्ण उपयोग हेतु टिकाऊ जीवनशैली को बढ़ावा’ विषय पर एक ऐतिहासिक प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसे 30 जुलाई 2025 को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। यह प्रस्ताव आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत जीवनशैली में बदलाव की दिशा में एक वैश्विक कदम है।

प्रस्ताव की मुख्य विशेषताएँ

भारत द्वारा प्रस्तुत यह प्रस्ताव, आर्द्रभूमियों के विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने हेतु ‘Mission LiFE’ (Lifestyle for Environment) की भावना को वैश्विक स्तर पर ले जाता है। 172 रामसर अनुबंधकारी पक्षों, 6 अंतर्राष्ट्रीय संगठन भागीदारों और अन्य पर्यवेक्षकों ने इस प्रस्ताव को समर्थन दिया और यह प्रस्ताव औपचारिक रूप से अधिवेशन में पारित हुआ।

प्रस्ताव के प्रमुख बिंदु

  • प्रस्ताव, Resolution XIV.8 और ‘सस्टेनेबल प्रोडक्शन एंड कंजम्प्शन’ पर 10 वर्षों के कार्यक्रम ढांचे से मेल खाता है।
  • यह सभी स्तरों पर आर्द्रभूमि प्रबंधन योजनाओं में टिकाऊ जीवनशैली-आधारित हस्तक्षेपों के एकीकरण हेतु स्वैच्छिक कार्रवाई का आग्रह करता है।
  • प्रस्ताव में सभी आयु वर्गों के लिए शिक्षा, जन-जागरूकता, और सार्वजनिक-निजी सहयोग को प्रोत्साहित करने की बात कही गई है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • रामसर सम्मेलन आर्द्रभूमियों के संरक्षण पर वैश्विक संधि है, जिसे 1971 में अपनाया गया था।
  • भारत में ‘Mission LiFE’ की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने UNFCCC CoP26 में की थी।
  • ‘Mission Sahbhagita’ और ‘Save Wetlands’ अभियान के तहत पिछले तीन वर्षों में 2 मिलियन से अधिक स्वयंसेवकों ने 1.7 लाख से अधिक आर्द्रभूमियों का मानचित्रण किया है।

टिकाऊ जीवनशैली का महत्व

सतत जीवनशैली से आशय ऐसे सामाजिक व्यवहार और निर्णयों से है जो:

  • पर्यावरणीय क्षरण को न्यूनतम करें।
  • सामाजिक-आर्थिक विकास को समान रूप से बढ़ावा दें।
  • भौतिक और मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक संबंध और सुरक्षा को सुदृढ़ करें।

वैश्विक महत्व और भारत की भूमिका

यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA-6) में मार्च 2024 में पारित प्रस्ताव 6/8 पर आधारित है और टिकाऊ जीवनशैली के व्यवहार परिवर्तन की क्षमता को सतत विकास के लक्ष्यों से जोड़ता है। भारत ने न केवल इस विचार को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे साकार किया है।
रामसर CoP15 में भारत की यह पहल एक समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसमें ‘Whole of Society’ भागीदारी को बढ़ावा दिया गया है। यह प्रस्ताव न केवल भारत के लिए, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी आर्द्रभूमियों के संरक्षण में व्यवहारिक और नीतिगत परिवर्तन लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

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