रवांडा-कांगो शांति समझौता: दशकों पुराने संघर्ष को विराम देने की दिशा में ऐतिहासिक पहल

रवांडा और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) ने शुक्रवार को एक अमेरिकी मध्यस्थता वाले शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे उम्मीदें जगी हैं कि इस वर्ष अब तक हजारों लोगों की जान लेने और लाखों को विस्थापित करने वाले हिंसक संघर्ष का अंत हो सकता है। यह समझौता यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा कराए गए वार्ताओं का परिणाम है और इस क्षेत्र में अरबों डॉलर के पश्चिमी निवेश को आकर्षित करने का भी प्रयास है।

समझौते की मुख्य विशेषताएँ

समझौते के अनुसार:

  • रवांडा को पूर्वी कांगो से 90 दिनों के भीतर सैनिकों की वापसी करनी होगी।
  • साझा सुरक्षा समन्वय प्रणाली 30 दिनों के भीतर बनाई जाएगी।
  • क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण फ्रेमवर्क शुरू किया जाएगा, जिससे खनिज आपूर्ति शृंखला में व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
  • रवांडा के सैनिकों की वापसी की निगरानी के लिए योजना लागू की जाएगी।
  • कांगो की सेना द्वारा डेमोक्रेटिक फोर्सेज फॉर द लिबरेशन ऑफ रवांडा पर की जा रही सैन्य कार्रवाई भी इसी समयसीमा में समाप्त की जाएगी।

संघर्ष की पृष्ठभूमि

M23 विद्रोही समूह, जिसे रवांडा की सेना का समर्थन प्राप्त बताया जाता है, इस वर्ष पूर्वी कांगो के दो प्रमुख शहरों और खनिज संपन्न क्षेत्रों पर कब्जा कर चुका है। यह संघर्ष 1994 के रवांडा नरसंहार से जुड़ी जातीय और राजनीतिक जड़ों वाला एक पुराना संघर्ष है। कांगो, संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी शक्तियाँ मानती हैं कि रवांडा इस समूह को हथियार और सैनिक सहायता दे रहा है — जिसे रवांडा अस्वीकार करता रहा है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • समझौते पर यूएस स्टेट डिपार्टमेंट में हस्ताक्षर हुए; अमेरिका के मार्को रुबियो ने समारोह की अध्यक्षता की।
  • यह समझौता कतर में चल रही डोहा वार्ता का भी समर्थन करता है।
  • समझौता 3 महीने के भीतर खनिज-आधारित व्यापार ढांचे की स्थापना की दिशा में पहल करेगा।
  • रवांडा की सेना ने अनुमानतः 7,000 सैनिकों को कांगो में भेजा है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

  • रवांडा के विदेश मंत्री ओलिवियर न्दुहंगिरेहे ने इसे “टर्निंग पॉइंट” कहा।
  • कांगो की विदेश मंत्री थेरेस कायिकवांबा वागनर ने बल दिया कि अब समझौते के अनुरूप वास्तविक सैन्य विघटन होना चाहिए।
  • ट्रंप ने कहा, “वे कई वर्षों से इससे जूझ रहे थे — और हथियार नहीं, बल्कि माछेटियों से। अब उनके पास शांति का मौका है।”

भविष्य की दिशा

समझौता इस बात को रेखांकित करता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की भूमिका केवल मध्यस्थता तक सीमित नहीं रहेगी — बल्कि उसे समझौते के पालन में भी सक्रिय भूमिका निभानी होगी। विशेषज्ञों के अनुसार, अतीत में ऐसे समझौते असफल हो चुके हैं, और अब इसकी सफलता अमेरिका की निगरानी और कूटनीतिक दबाव पर निर्भर करेगी।
यह शांति समझौता अफ्रीका के ग्रेट लेक्स क्षेत्र में लंबे समय से चली आ रही अस्थिरता को समाप्त करने का एक अवसर प्रदान करता है। यदि यह प्रभावी रूप से लागू होता है, तो यह क्षेत्रीय स्थिरता, मानव सुरक्षा और वैश्विक खनिज आपूर्ति शृंखला के लिए एक बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

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