यूके-इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग ब्रिज: दूसरे वर्ष में नए दृष्टिकोण के साथ प्रवेश

भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच सितंबर 2024 में शुरू हुई संयुक्त पहल ‘यूके-इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग ब्रिज’ (UKIIFB) ने अपने पहले वर्ष की समाप्ति पर एक अहम रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट लंदन के प्रतिष्ठित वित्तीय क्षेत्र ‘सिटी ऑफ लंदन’ में 8 सितंबर 2025 को प्रस्तुत की गई। इस रिपोर्ट के माध्यम से पिछले एक वर्ष की उपलब्धियों का मूल्यांकन किया गया है और आगामी दिशा की रूपरेखा तय की गई है।

पहले वर्ष की चुनौतियाँ और अनुभव

यूकेआईआईएफबी की शुरुआत में कुछ परियोजनाओं की पहचान की गई थी, लेकिन अब वे योजनाएं सक्रिय नहीं रह गई हैं। इसके बजाय, अब भारत में निवेश के जोखिम को कम करने से संबंधित आठ प्रमुख सिफारिशें पेश की गई हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत को 2030 तक अपनी अवसंरचना आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता है। हालांकि, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वैश्विक निवेश के परिप्रेक्ष्य में भारत को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने की जरूरत है।
सिटी ऑफ लंदन कॉरपोरेशन के नीति प्रमुख क्रिस हेवर्ड ने इस रिपोर्ट को “परिवर्तन की प्रबल आवश्यकता” बताया। उन्होंने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के तहत भारत का नियामक ढांचा सही दिशा में बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी सुधार की गुंजाइश है।

रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें

यूकेआईआईएफबी रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है:

  • भारतीय खरीद प्रक्रियाओं को वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त मॉडलों, जैसे यूके का फाइव केस मॉडल, के साथ संरेखित करना।
  • परियोजनाओं में परिचालन जोखिम और पारदर्शिता की कमी जैसी चुनौतियों को दूर करना।
  • पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासनिक (ESG) मानकों के अनुरूप कार्य करना।
  • विदेशी निवेशकों के लिए राजस्व सुरक्षा और पूंजी की वापसी की प्रक्रिया को सरल बनाना।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत के अवसंरचना क्षेत्र में कुछ बड़े कॉर्पोरेट घरानों का वर्चस्व है, जिससे प्रतिस्पर्धा और नवाचार में कमी आती है।

मंझोली कंपनियों की भूमिका और भारत की संरचना

नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने इस रिपोर्ट को उपयोगी बताते हुए मंझोली कंपनियों की कमी को भारतीय अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख समस्या बताया। भारत में लगभग 60,000 मंझोली कंपनियां हैं, जिनमें 100-200 कर्मचारी होते हैं। उन्होंने भारत की कंपनी संरचना को ‘घंटाघड़ी’ (hour-glass) जैसी बताते हुए कहा कि “यह बीच में संकीर्ण है।”
उनके अनुसार, भारत की युवा जनसंख्या और तेज आर्थिक विकास दर देश को वैश्विक दृष्टि से एक अनोखा केस बनाते हैं, जहां जलवायु परिवर्तन और आर्थिक प्रगति दोनों को संतुलित करना आवश्यक है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • यूके-इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग ब्रिज (UKIIFB) की शुरुआत सितंबर 2024 में हुई थी।
  • नीति आयोग भारत की ओर से इस पहल का नेतृत्व करता है, जबकि सिटी ऑफ लंदन कॉरपोरेशन यूके की प्रतिनिधि संस्था है।
  • भारत को 2030 तक अवसंरचना क्षेत्र में 2 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता है।
  • भारत में केवल 60,000 मंझोली कंपनियाँ सक्रिय हैं, जिनमें 100-200 कर्मचारी होते हैं।

यह रिपोर्ट भारत और यूके के बीच निवेश और सहयोग को नई दिशा देने का संकेत देती है, विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र पर नए फोकस के साथ। यदि ये सिफारिशें प्रभावी रूप से लागू की जाती हैं, तो यह न केवल भारत की अवसंरचना परियोजनाओं को अधिक निवेश-योग्य बना सकती हैं, बल्कि विदेशी पूंजी के लिए भारत को एक अधिक आकर्षक गंतव्य भी बना सकती हैं।

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