यूएई में डूबे जहाज़ों से बन रही हैं नई कृत्रिम प्रवाल भित्तियाँ
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने अपनी पूर्वी तटरेखा पर समुद्री जीवन को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से तीन निष्क्रिय जहाज़ों इंचकेप 1, इंचकेप 2 और इंचकेप 10 को जानबूझकर डुबो दिया है। यह अभिनव पहल संरक्षण और पर्यटन दोनों को एक साथ जोड़ती है, जहाँ इन जहाज़ों के लोहे के ढाँचे अब मछलियों, मूंगों और अकशेरुकी जीवों के लिए नया घर बन चुके हैं। इससे न केवल समुद्री जैव विविधता को प्रोत्साहन मिल रहा है, बल्कि नियंत्रित गोताखोरी स्थलों के रूप में यह पर्यावरणीय पर्यटन को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
कृत्रिम प्रवाल भित्तियाँ समुद्री जीवन को कैसे सहारा देती हैं
कृत्रिम प्रवाल भित्तियाँ समुद्र में उन स्थानों पर बनाई जाती हैं जहाँ प्राकृतिक प्रवाल भित्तियाँ कमज़ोर या विरल होती हैं। जहाज़ों के ढाँचे, डेक और छिद्र प्राकृतिक चट्टानों की तरह बनावट तैयार करते हैं, जिन पर मूंगे, शैवाल और स्पंज बसने लगते हैं। इन सतहों पर पहले छोटी मछलियाँ आती हैं और धीरे-धीरे बड़े शिकारी जीव भी आकर्षित होते हैं, जिससे एक पूर्ण पारिस्थितिक श्रृंखला (Trophic Web) विकसित होती है।सही ढंग से स्थापित कृत्रिम भित्तियाँ गोताखोरों की गतिविधियों को एक निश्चित क्षेत्र में केंद्रित करती हैं, जिससे प्राकृतिक प्रवाल भित्तियों पर दबाव कम होता है और उनके संरक्षण में मदद मिलती है।
इंचकेप श्रृंखला: गहराई, स्थान और समुद्री विविधता
इंचकेप 1 को वर्ष 2001 में अल अकाह (Al Aqah) के पास लगभग 32 मीटर गहराई में डुबोया गया था। यहाँ स्नैपर और कार्डिनलफिश के झुंड अक्सर दिखाई देते हैं।इंचकेप 2, जिसे 2002 में खोर फक़्क़ान (Khor Fakkan) के पास लगभग 22 मीटर गहराई में डुबोया गया, आज प्रशिक्षण और फोटोग्राफी के लिए लोकप्रिय स्थल है। यहाँ तोता मछली, मोर ईल, बॉक्सफिश और रे जैसी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।इंचकेप 10 (2003), फुजैरा (Fujairah) के तट से लगभग 23 मीटर की गहराई पर स्थित है और आकार में सबसे बड़ा है। यहाँ बराकुडा और समुद्री कछुए देखे जा सकते हैं। इन सभी स्थलों का प्रबंधन लाइसेंस प्राप्त डाइव सेंटरों के माध्यम से किया जाता है ताकि पर्यावरणीय क्षति को न्यूनतम रखा जा सके।
पारिस्थितिक पर्यटन और संरक्षण का संगम
कृत्रिम भित्तियाँ यूएई में गोताखोरी पर्यटन के लिए नए अवसर खोल रही हैं। इससे स्थानीय नाव चालक, प्रशिक्षक और उपकरण आपूर्तिकर्ता जैसे समुदायों को स्थायी आजीविका मिल रही है। डाइव सेंटर पर्यावरणीय शिक्षा का भी प्रसार कर रहे हैं, जिसमें गोताखोरों को संतुलन नियंत्रण, “नो-टच” नियम और स्थायी मूरिंग पॉइंट्स का उपयोग सिखाया जाता है।साथ ही, गोताखोर क्लब नियमित रूप से मछलियों की गणना, जल की दृश्यता और तापमान जैसे आँकड़े दर्ज करते हैं, जिससे नागरिक विज्ञान (Citizen Science) के माध्यम से इन कृत्रिम भित्तियों की कार्यक्षमता की निगरानी की जा सकती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- कृत्रिम प्रवाल भित्तियाँ योजनाबद्ध संरचनाएँ होती हैं जिन्हें समुद्री आवास और मत्स्य संसाधन बढ़ाने के लिए डुबोया जाता है।
- डुबोने से पहले जहाज़ों से सभी प्रदूषक हटाए जाते हैं ताकि समुद्र में विषाक्तता न फैले।
- भारत का पहला प्रस्तावित अंडरवाटर संग्रहालय महाराष्ट्र के निवती बीच पर बनाया जा रहा है, जो पर्यटन और संरक्षण दोनों को जोड़ेगा।
- अबू धाबी ने भूमि और समुद्र दोनों क्षेत्रों में लगभग 20% क्षेत्र को प्राकृतिक आरक्षित घोषित करने का लक्ष्य रखा है।
यूएई की यह पहल दिखाती है कि यदि तकनीकी विशेषज्ञता, वैज्ञानिक निगरानी और पर्यावरणीय संवेदनशीलता के साथ कार्य किया जाए, तो कृत्रिम प्रवाल भित्तियाँ न केवल समुद्री जीवन को नया सहारा दे सकती हैं, बल्कि सतत पर्यटन की दिशा में भी प्रेरक उदाहरण बन सकती हैं।