महाराष्ट्र में स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट की शुरुआत: एक नई डिजिटल क्रांति

महाराष्ट्र में स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट की शुरुआत: एक नई डिजिटल क्रांति

महाराष्ट्र देश का पहला राज्य बन गया है जिसने एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक के साथ उपग्रह ब्रॉडबैंड सेवा के लिए औपचारिक साझेदारी की है। इस पहल का उद्देश्य है दूरदराज़ और पिछड़े क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी की अंतिम कड़ी को मजबूत करना, ताकि “डिजिटल महाराष्ट्र” मिशन के तहत सभी नागरिकों तक सरकारी सेवाएं सुगमता से पहुँच सकें।

साझेदारी के अंतर्गत क्या होगा?

स्टारलिंक सैटेलाइट कम्युनिकेशन्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ हुए समझौता-पत्र (LoI) के अनुसार, पहले चरण में उन जिलों में सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक ढांचों पर ध्यान दिया जाएगा जहाँ नेटवर्क बेहद कमजोर या नहीं है। ऐसे जिलों में गढ़चिरोली, नंदुरबार, धाराशिव और वाशिम शामिल हैं। स्कूलों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, ग्राम पंचायतों, पुलिस चौकियों और आपदा प्रबंधन केंद्रों जैसे स्थानों पर इंटरनेट सुविधा प्रदान की जाएगी। यह तकनीक फाइबर और 4G/5G नेटवर्क के पूरक रूप में कार्य करेगी, खासकर उन इलाकों में जहाँ भौगोलिक बाधाओं के कारण ज़मीन पर नेटवर्क विस्तार मुश्किल होता है।

वाणिज्यिक शुरुआत और अवसंरचना

भारत में स्टारलिंक की पूरी तरह से वाणिज्यिक शुरुआत 2026 की शुरुआत तक होने की उम्मीद है। इसके लिए देशभर में कम से कम नौ सैटेलाइट गेटवे स्टेशनों की योजना बनाई गई है, जिनमें मुंबई, नोएडा, कोलकाता, चंडीगढ़ और लखनऊ शामिल हैं। ये गेटवे डेटा ट्रांसमिशन में देरी को कम करेंगे, नेटवर्क गति बढ़ाएंगे और भारतीय साइबर कानूनों के अनुरूप डेटा ट्रैफिक को नियंत्रित करने में मदद करेंगे।

प्रतिस्पर्धा और नीति परिदृश्य

भारत के उभरते सैटेलाइट इंटरनेट बाज़ार में स्टारलिंक की टक्कर रिलायंस जियो सैटेलाइट और यूटेलसैट वनवेब जैसी कंपनियों से है। दुनियाभर में 6,000 से अधिक LEO (लो-अर्थ ऑर्बिट) सैटेलाइट की मदद से स्टारलिंक अब उन क्षेत्रों में तेज़ इंटरनेट उपलब्ध कराने में सक्षम है जहाँ फाइबर केबल संभव नहीं है, जैसे पहाड़ी, वन क्षेत्रों और द्वीप।
हालांकि, इस तकनीक के विस्तार में affordability, डिवाइस सब्सिडी, राइट-ऑफ-वे, स्पेक्ट्रम समन्वय और सुरक्षा स्वीकृति जैसी चुनौतियाँ अहम रहेंगी। भारतनेट और राज्य स्तरीय ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म्स के साथ इसका समन्वय भी आवश्यक होगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • महाराष्ट्र स्टारलिंक के साथ सैटेलाइट इंटरनेट के लिए समझौता करने वाला पहला राज्य बना।
  • प्राथमिक चरण में गढ़चिरोली, नंदुरबार, धाराशिव और वाशिम ज़िले लक्षित होंगे।
  • स्टारलिंक की भारत में वाणिज्यिक शुरुआत 2026 की शुरुआत में प्रस्तावित है।
  • प्रमुख प्रतिस्पर्धी: जियो सैटेलाइट और यूटेलसैट वनवेब।

LEO सैटेलाइट तकनीक की सहायता से ग्रामीण भारत में डिजिटल सेवाओं की स्थिरता सुनिश्चित की जा सकेगी। इससे टेलीमेडिसिन, ई-लर्निंग, डीबीटी भुगतान, कृषि परामर्श, और गांव स्तर पर सीसीटीवी/IoT जैसे अनुप्रयोग सशक्त होंगे। महाराष्ट्र में होने वाला यह पायलट प्रोजेक्ट भविष्य में अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल बन सकता है, जिससे भारत की डिजिटल समावेशन यात्रा को नई गति मिलेगी।

Originally written on November 6, 2025 and last modified on November 6, 2025.

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