मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच: हेम कमेटी रिपोर्ट और 35 मामलों की वापसी

2017 में एक प्रमुख मलयालम अभिनेत्री के अपहरण और यौन उत्पीड़न की घटना ने केरल फिल्म उद्योग में महिलाओं के प्रति भेदभाव और उत्पीड़न के मुद्दों को उजागर किया। इस घटना के बाद, महिला कलाकारों और तकनीशियनों के संगठन ‘वीमेन इन सिनेमा कलेक्टिव’ (WCC) ने सरकार से जांच की मांग की, जिसके परिणामस्वरूप जुलाई 2017 में हेम कमेटी का गठन किया गया।

हेम कमेटी की स्थापना और रिपोर्ट

हेम कमेटी, सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय न्यायाधीश के. हेमा की अध्यक्षता में, अभिनेत्री शारदा और पूर्व आईएएस अधिकारी के. बी. वत्सलाकुमारी के साथ गठित की गई थी। इस कमेटी ने मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न, कार्यस्थल पर असमानता, और अन्य शोषण के मामलों की जांच की। दिसंबर 2019 में 300 पृष्ठों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को सौंपी गई, लेकिन इसे सार्वजनिक करने में सरकार ने चार साल से अधिक का समय लिया।

रिपोर्ट की प्रमुख निष्कर्ष

रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में ‘कास्टिंग काउच’, कार्यस्थल पर अश्लील टिप्पणियाँ, शराब के नशे में सह-अभिनेताओं द्वारा महिला कलाकारों के कमरों में घुसने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। कई महिलाओं ने प्रतिशोध के डर से घटनाओं की रिपोर्ट नहीं की। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि उद्योग में एक ‘माफिया’ समूह है जो महिलाओं के करियर को नियंत्रित करता है।

रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद की घटनाएँ

अगस्त 2024 में रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद, कई महिलाएं सामने आईं और अपने अनुभव साझा किए। इसके परिणामस्वरूप केरल पुलिस ने स्वतः संज्ञान लेते हुए लगभग 60 मामले दर्ज किए। इनमें से 35 मामले हेम कमेटी के समक्ष दिए गए बयानों के आधार पर थे।

35 मामलों की वापसी के कारण

जून 2025 में केरल पुलिस ने 35 मामलों को ‘फर्दर एक्शन ड्रॉप्ड’ (FAD) के तहत बंद कर दिया। पुलिस के अनुसार, इन मामलों में सबूतों की कमी और पीड़ितों की सहयोग न करने की वजह से आगे की कार्रवाई संभव नहीं थी। कई महिलाओं ने केवल अपने अनुभव साझा करने की इच्छा जताई, लेकिन कानूनी प्रक्रिया में शामिल नहीं होना चाहा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • हेम कमेटी: केरल सरकार द्वारा 2017 में गठित, यह भारत की पहली राज्य स्तरीय समिति थी जिसने फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ होने वाले शोषण की जांच की।
  • वीमेन इन सिनेमा कलेक्टिव (WCC): 2017 में स्थापित, यह संगठन मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा के लिए कार्य करता है।
  • AMMA: एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स, जो रिपोर्ट के बाद विवादों में आया और इसके कई सदस्यों ने इस्तीफा दिया।
  • कास्टिंग काउच: फिल्म उद्योग में भूमिका पाने के लिए यौन संबंध बनाने के दबाव को संदर्भित करता है।
  • फर्दर एक्शन ड्रॉप्ड (FAD): पुलिस द्वारा मामलों को बंद करने की प्रक्रिया, जब आगे की जांच संभव नहीं होती।

मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ होने वाले शोषण की घटनाएँ और उनके खिलाफ कार्रवाई की कमी ने एक गंभीर सामाजिक मुद्दे को उजागर किया है। हेम कमेटी की रिपोर्ट ने इन समस्याओं को सामने लाया, लेकिन पीड़ितों की चुप्पी और कानूनी प्रक्रिया की जटिलताओं के कारण न्याय की प्रक्रिया अधूरी रह गई। यह आवश्यक है कि सरकार और उद्योग मिलकर एक सुरक्षित और समान कार्यस्थल सुनिश्चित करें, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *