भुवनेश्वर में राष्ट्रीय हथकरघा एवं हस्तशिल्प सम्मेलन: नवाचार और नीतिगत बदलावों की ओर
 
31 अक्टूबर से 1 नवंबर 2025 तक भुवनेश्वर, ओडिशा में वस्त्र मंत्रालय के अंतर्गत विकास आयुक्त (हथकरघा एवं हस्तशिल्प) कार्यालयों द्वारा एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह सम्मेलन भारत के हस्तनिर्मित क्षेत्र — हथकरघा और हस्तशिल्प — की संभावनाओं, चुनौतियों और भावी योजनाओं पर केंद्रित होगा। इस आयोजन का उद्देश्य न केवल इस क्षेत्र की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करना है, बल्कि आगामी योजनाओं के नए स्वरूप पर गहन विचार-विमर्श भी है।
सम्मेलन के उद्देश्य और महत्व
सम्मेलन के दो प्रमुख उद्देश्य हैं:
- भारत में हस्तनिर्मित उत्पादों के क्षेत्र में संभावनाओं और चुनौतियों की समझ विकसित करना।
- इस क्षेत्र के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नई योजना पर विचार करना, जिसमें शासन ढांचे में व्यापक परिवर्तन प्रस्तावित हैं।
यह सम्मेलन नीति-निर्माताओं, राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों, तथा हथकरघा एवं हस्तशिल्प क्षेत्र के प्रतिनिधियों को एक साझा मंच प्रदान करेगा, जहाँ वे नीति, शासन और क्रियान्वयन से जुड़े विषयों पर चर्चा कर सकें।
उद्घाटन समारोह और प्रमुख अतिथि
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में ओडिशा सरकार के मुख्य सचिव श्री मनोज आहूजा मुख्य अतिथि होंगे। योजना और अभिसरण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती अनु गर्ग उद्घाटन सत्र की विशिष्ट अतिथि होंगी।
वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार की सचिव श्रीमती नीलम शमी राव “हथकरघा एवं हस्तशिल्प क्षेत्र के लिए नई योजनाएं – एक दृष्टिकोण परिवर्तन” विषय पर सत्र का उद्घाटन करेंगी और अगले दिन “शासन संरचना में व्यापक बदलाव” पर संबोधन देंगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत का हथकरघा क्षेत्र 43 लाख से अधिक परिवारों को रोजगार देता है और विश्व के सबसे बड़े हस्तनिर्मित वस्त्र उत्पादकों में शामिल है।
- हस्तशिल्प क्षेत्र देश के ग्रामीण और जनजातीय इलाकों की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है और लगभग 70 लाख लोगों की आजीविका का स्रोत है।
- विकास आयुक्त (हथकरघा) और विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) वस्त्र मंत्रालय के तहत इन दोनों क्षेत्रों के लिए योजनाएं संचालित करते हैं।
- “पीएम विश्वकर्मा योजना” जैसे कार्यक्रम हाल के वर्षों में कारीगरों और शिल्पकारों को समर्थन देने के लिए लाए गए हैं।
शासन ढांचे में परिवर्तन और राज्यों की भूमिका
इस प्रस्तावित नई योजना में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की भूमिका को और अधिक सशक्त किया जाएगा। नीति निर्माण से लेकर योजना क्रियान्वयन तक, राज्यों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर होगा ताकि कारीगरों और बुनकरों तक लाभ सीधा और प्रभावी रूप से पहुँचे।
सम्मेलन में नीति-सम्मत संवाद, सहयोग और विचारों के आदान-प्रदान से एक मजबूत और सहभागी शासन प्रणाली का खाका तैयार होगा। यह संवादात्मक मंच सभी हितधारकों को अपनी आवश्यकताओं, अनुभवों और सुझावों को साझा करने का अवसर प्रदान करेगा।
