भुवनेश्वर में राष्ट्रीय मध्यस्थता सम्मेलन का समापन: न्याय और सामाजिक समरसता की दिशा में एक निर्णायक पहल

भुवनेश्वर में राष्ट्रीय मध्यस्थता सम्मेलन का समापन: न्याय और सामाजिक समरसता की दिशा में एक निर्णायक पहल

भुवनेश्वर के लोकसेवा भवन कन्वेंशन हॉल में दो दिवसीय दूसरा राष्ट्रीय मध्यस्थता सम्मेलन रविवार को संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में न्यायपालिका, सरकार और कानूनी विशेषज्ञों ने एकमत से यह माना कि मध्यस्थता न केवल न्यायिक प्रणाली को कुशल और प्रभावी बनाने का माध्यम है, बल्कि यह समाज में संवाद, विश्वास और सौहार्द को भी सुदृढ़ करती है।

मध्यस्थता: वैधानिक मान्यता के साथ न्याय प्रणाली का अभिन्न हिस्सा

सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर राज्यपाल हरि बाबू कम्भमपति ने कहा कि मध्यस्थता केवल विवाद समाधान का तरीका नहीं है, बल्कि यह आपसी विश्वास कायम करने, रिश्तों को संरक्षित रखने और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने का एक सशक्त माध्यम है। भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने अपने मुख्य भाषण में ‘मध्यस्थता अधिनियम, 2023’ की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम से मध्यस्थता को एक वैकल्पिक उपाय से एक मजबूत न्यायिक स्तंभ के रूप में मान्यता मिली है, जिससे न्याय प्रणाली अधिक सहभागी, सुलभ और प्रभावी बन सकेगी।

ओडिशा की भूमिका और सरकार की प्रतिबद्धता

मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने मध्यस्थता को “संवाद का माध्यम, विवाद नहीं” बताते हुए इसके चार प्रमुख आधार स्तंभ — लागत प्रभावशीलता, गोपनीयता, नियंत्रण और रचनात्मकता — की चर्चा की। उन्होंने इसे “शांति, सद्भाव और न्याय का आंदोलन” बताया, जो अदालतों के बोझ को कम कर शीघ्र न्याय सुनिश्चित करता है।
ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हरिश टंडन ने राज्य में मध्यस्थता सेवाओं के विस्तार की दिशा में उठाए गए प्रयासों को रेखांकित किया। केंद्रीय विधि मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने न्यायपालिका और सरकार के बीच तालमेल को सराहते हुए देश भर में मध्यस्थता को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • मध्यस्थता अधिनियम, 2023 भारत में पहली बार मध्यस्थता को कानूनी रूप से मान्यता देता है।
  • “चार C” — Cost-effectiveness, Confidentiality, Control, Creativity — मध्यस्थता की कार्यप्रणाली के मूल आधार माने जाते हैं।
  • भुवनेश्वर सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत, भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि, और कई राज्यों के मुख्य न्यायाधीश उपस्थित थे।
  • ओडिशा को वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) और कानूनी नवाचार के एक उभरते केंद्र के रूप में पहचान मिल रही है।
Originally written on September 30, 2025 and last modified on September 30, 2025.

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