भुवनेश्वर बना भारत का पहला शहर जिसने शुरू की ‘हीट और कूलिंग एक्शन योजना’

भारत के ताप संकट से जूझते शहरी परिदृश्य में, भुवनेश्वर ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए Integrated Heat and Cooling Action Plan (IHCAP) को अपनाया है। यह योजना देश की पहली ऐसी शहर-स्तरीय पहल है, जो भीषण गर्मी और बढ़ती एयर कंडीशनिंग (AC) निर्भरता — इन दोनों संकटों का एकीकृत समाधान प्रस्तुत करती है।

गर्मी और कूलिंग का दुष्चक्र

भुवनेश्वर, जो भारत के सबसे अधिक गर्मी से प्रभावित शहरों में से एक है, पिछले चार दशकों से लगातार बढ़ते तापमान और आर्द्रता का सामना कर रहा है। सबसे चिंताजनक है रात का तापमान, जो शरीर को आराम नहीं लेने देता और स्वास्थ्य जोखिम को बढ़ाता है।

  • 2024 में 230 दिनों तक हीट अलर्ट (पीला या नारंगी) दर्ज किए गए।
  • AC स्वामित्व दो वर्षों में 6% से 15% तक बढ़ गया।
  • बिजली खपत का एक-तिहाई हिस्सा कूलिंग में जा रहा है — गर्मियों में यह दो-तिहाई तक पहुँच जाता है।
  • शहर की 8.6% वार्षिक आय गर्मी से प्रभावित हो रही है।

IHCAP की पाँच स्तंभों वाली रणनीति

  1. शहर को ठंडा बनाना: हरियाली बढ़ाना, जल स्रोतों का पुनरुद्धार, कूल रूफ्स को बढ़ावा और सड़कों को पुनः डिज़ाइन करना।
  2. भवनों को ठंडा बनाना: ऊर्जा संरक्षण कोड लागू करना और गर्मी-अनुकूल डिज़ाइन को प्रोत्साहित करना।
  3. सभी के लिए सतत कूलिंग: कम आय वाले लोगों के लिए सस्ते, कुशल और पर्यावरण-अनुकूल कूलिंग समाधान।
  4. हीट रेज़िलिएंस बढ़ाना: बिजली, जल और स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ करना; कूलिंग शेल्टर्स, कूल बस स्टॉप्स, और सार्वजनिक जल केंद्र बनाना।
  5. हीट के अनुकूलन की योजना: हीट अलर्ट में आर्द्रता और रात के तापमान को शामिल करना; श्रमिकों को बीमा और जन-जागरूकता अभियान।

इन उपायों से सतही तापमान में 0.5°C से 9.4°C तक की गिरावट संभव है और बिजली की मांग में 44%–67% तक की कटौती की जा सकती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • IHCAP देश का पहला एकीकृत योजना है जो ICAP (India Cooling Action Plan) और NDMA के Heat Action Plan को एकीकृत करता है।
  • भुवनेश्वर में 2018 से 2024 के बीच निर्मित क्षेत्र 23% बढ़ा, जबकि हरियाली 10% और जल स्रोत 75% घटे
  • शहरी हीट द्वीप प्रभाव (UHI) के कारण शहर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से 2 से 5 डिग्री अधिक गर्म हो गया है।
  • वर्तमान भवन कोड केवल 1.5% आवासीय और 25% वाणिज्यिक भवनों पर लागू होते हैं।

भविष्य की रणनीति और आवश्यकता

भारत में 2050 तक 600–700 मिलियन शहरी जनसंख्या रहने की संभावना है, जिनमें से अधिकांश हीट-स्ट्रेस वाले क्षेत्रों में होंगे।
इसलिए:

  • NDMA को हीट मिटिगेशन और सतत कूलिंग उपायों को अपने दिशानिर्देशों में जोड़ना चाहिए।
  • मास्टर प्लान और भवन कोड में UHI प्रभाव और गर्मी-प्रतिरोधी अधोसंरचना के लिए प्रावधान अनिवार्य हों।

भुवनेश्वर की यह पहल दर्शाती है कि वैज्ञानिक मॉडेलिंग, नवाचारी योजना और दूरदर्शी नीति के सहारे शहर गर्मी और कूलिंग के दुष्चक्र से बाहर निकल सकते हैं। अन्य शहरों को अब इस मॉडल को अपनाकर अपने नागरिकों को गर्मी से बचाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

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