भारत-EFTA व्यापार समझौता: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक निर्णायक कदम

भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) — जिसमें स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन शामिल हैं — के बीच हाल ही में संपन्न व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (TEPA) एक ऐतिहासिक पहल के रूप में सामने आया है। यह भारत का किसी विकसित यूरोपीय अर्थव्यवस्था समूह के साथ पहला व्यापक व्यापार समझौता है, जो न केवल व्यापारिक संभावनाओं को विस्तार देता है, बल्कि भारत की वैश्विक स्थिति को भी मजबूत करता है। इस समझौते के तहत EFTA देशों द्वारा भारत में 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर के निवेश और 10 लाख प्रत्यक्ष नौकरियों के सृजन का वादा किया गया है।
व्यापक व्यापारिक लाभ और रोजगार के अवसर
TEPA के तहत EFTA देशों ने भारत से निर्यात होने वाले 99.6% मूल्य की वस्तुओं पर शुल्क समाप्त या कम करने का निर्णय लिया है। इससे रासायनिक उत्पादों, वस्त्रों, रत्न एवं आभूषण, और औद्योगिक वस्तुओं के निर्यातकों को नया बाज़ार मिलेगा। सेवा क्षेत्र में भी भारत को 128 उप-क्षेत्रों में स्विट्ज़रलैंड से, 114 में नॉर्वे से, 110 में आइसलैंड से और 107 में लिकटेंस्टीन से प्रतिबद्धताएं मिली हैं। इससे भारतीय आईटी पेशेवरों, व्यापार सेवाओं और कुशल जनशक्ति को नई वैश्विक पहुंच मिलेगी।
रणनीतिक और तकनीकी सहयोग की संभावनाएँ
TEPA केवल व्यापार तक सीमित नहीं है, यह भारत और EFTA देशों के बीच रणनीतिक और तकनीकी सहयोग का माध्यम भी बनेगा। भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को देखते हुए EFTA की उच्च तकनीकी क्षमताएं — जैसे सटीक इंजीनियरिंग, दवाइयाँ, स्वास्थ्य विज्ञान, नवीकरणीय ऊर्जा, और उन्नत तकनीकें — भारत के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगी। भारत की कुशल जनशक्ति इन तकनीकों को आत्मसात कर, उन्हें नवाचार के माध्यम से घरेलू और वैश्विक बाज़ारों में अनुकूल बना सकती है।
स्वच्छ ऊर्जा और थोरियम तकनीक में संभावनाएँ
भारत ने 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य तय किया है, और 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की योजना है। TEPA के माध्यम से यूरोपीय हरित वित्त, तकनीकी भागीदारी और अनुसंधान को भारत में लाया जा सकता है। वर्तमान में भारत की 243 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता स्थापित हो चुकी है, जो कुल बिजली उत्पादन का 50% है।
हालांकि, अक्षय ऊर्जा के साथ स्थिर ‘बेसलोड’ ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता बनी रहती है। इस दिशा में भारत के पास थोरियम जैसे स्वच्छ और सुरक्षित ईंधन का प्रचुर भंडार है, जो विश्व के कुल भंडार का लगभग एक-चौथाई है। TEPA के तहत नॉर्वे जैसे देशों के साथ सहयोग कर भारत थोरियम अनुसंधान में तेजी ला सकता है। इससे दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है और भविष्य में भारत अन्य देशों को तकनीक, विशेषज्ञता और रिएक्टर डिज़ाइन निर्यात कर सकता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- EFTA की स्थापना 1960 में की गई थी, यह चार यूरोपीय देशों का स्वतंत्र व्यापार समूह है।
- TEPA, भारत का पहला व्यापार समझौता है जिसमें विकसित यूरोपीय देशों की भागीदारी है।
- भारत विश्व के थोरियम भंडार में अग्रणी है, जिसमें लगभग 25% वैश्विक भंडार भारत के पास है।
- भारत की वर्तमान गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता 243 GW है, जो 2030 के लक्ष्य से 5 वर्ष पहले पूरी हो गई है।
भारत- EFTA TEPA समझौता न केवल तत्काल व्यापारिक लाभ दिलाता है, बल्कि यह भारत की रणनीतिक सोच, तकनीकी नवाचार और स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह आत्मनिर्भर भारत के विज़न को वैश्विक सहयोग से जोड़ता है और भविष्य की साझेदारियों का नया मानदंड स्थापित करता है। यह समझौता भारत को न केवल एक विश्वसनीय भागीदार बनाता है, बल्कि एक नवाचारी और ऊर्जा-सुरक्षित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।