भारत में हिरण, सुअर, गौर और अन्य खुरधारी स्तनधारियों की स्थिति: बाघ संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक

हाल ही में नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथॉरिटी (NTCA) और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) द्वारा जारी एक विस्तृत रिपोर्ट में भारत के जंगलों में खुरधारी स्तनधारियों (ungulates) की आबादी का आकलन किया गया है। यह अध्ययन 2022 की अखिल भारतीय बाघ गणना के आंकड़ों पर आधारित है और पहली बार इन प्रजातियों की व्यापक स्थिति और वितरण को दर्शाता है।

प्रमुख प्रजातियों की स्थिति

भारत के जंगलों में बाघों के मुख्य शिकार के रूप में चीतल (स्पॉटेड डियर), सांभर (बड़ा हिरण), और गौर (भारतीय बाइसन) प्रमुख हैं। रिपोर्ट के अनुसार:

  • चीतल: यह सबसे अधिक संख्या में पाया जाने वाला खुरधारी स्तनधारी है, जो विभिन्न प्रकार के आवासों में जीवित रह सकता है।
  • सांभर: इसकी आबादी अधिकांश बाघ क्षेत्रों में स्थिर है, विशेषकर मध्य भारत और पश्चिमी घाटों में।
  • गौर: यह घने जंगलों और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में पाया जाता है, और इसकी संख्या पश्चिमी घाट, मध्य भारत, पूर्वी घाट और पूर्वोत्तर हिमालय की तलहटी में अच्छी है।

पूर्व-मध्य भारत में गिरावट

ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे पूर्व-मध्य राज्यों में इन प्रजातियों की संख्या में गिरावट देखी गई है। इसके प्रमुख कारण हैं:

  • आवासीय क्षरण: खनन, अवैध कटाई और बुनियादी ढांचे के विकास के कारण जंगलों का विखंडन।
  • वामपंथी उग्रवाद: इन क्षेत्रों में सुरक्षा की कमी के कारण वन्यजीव संरक्षण प्रभावित हुआ है।
  • जीविकोपार्जन के लिए शिकार: स्थानीय निवासियों द्वारा जीविकोपार्जन के लिए शिकार किया जाना।

अन्य प्रजातियों की स्थिति

  • नीलगाय: यह भारत की सबसे बड़ी मृग प्रजाति है, जो कृषि क्षेत्रों में भी देखी जाती है। इसकी संख्या कुछ क्षेत्रों में अधिक है, लेकिन कुछ स्थानों पर यह फसलों को नुकसान पहुंचाने के कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष का कारण बनती है।
  • हॉग डियर और बारासिंगा: ये प्रजातियाँ विशेष रूप से घास के मैदानों और आर्द्रभूमियों में पाई जाती हैं। इनके आवासों के क्षरण के कारण इनकी संख्या में गिरावट आई है।
  • जंगली भैंसा: यह प्रजाति अब केवल कुछ ही क्षेत्रों में सीमित है, जैसे कि असम और छत्तीसगढ़। आवासीय क्षरण और पालतू भैंसों के साथ संकरण इसके लिए खतरा हैं।

बाघों के लिए महत्व

खुरधारी स्तनधारियों की संख्या में गिरावट बाघों के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि ये उनके मुख्य शिकार हैं। जब शिकार की उपलब्धता कम होती है, तो बाघ मानव बस्तियों की ओर बढ़ते हैं और पालतू जानवरों का शिकार करते हैं, जिससे मानव-बाघ संघर्ष बढ़ता है।

संरक्षण के लिए सुझाव

  • आवासीय पुनर्स्थापन: जंगलों के क्षरण को रोकने और पुनर्स्थापित करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए।
  • शिकार पर नियंत्रण: अवैध शिकार को रोकने के लिए कड़े कानून और उनके प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
  • स्थानीय समुदायों की भागीदारी: स्थानीय निवासियों को वन्यजीव संरक्षण में शामिल करना और उन्हें वैकल्पिक आजीविका प्रदान करना आवश्यक है।
  • प्रजातियों का पुनः परिचय: जहां आवश्यक हो, वहां प्रजातियों का पुनः परिचय और संरक्षण कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए।

भारत में खुरधारी स्तनधारियों की स्थिति बाघों और अन्य बड़े शिकारी प्राणियों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है। इन प्रजातियों के संरक्षण के बिना, बाघों का दीर्घकालिक अस्तित्व सुनिश्चित करना कठिन होगा। इसलिए, एक समग्र और समन्वित प्रयास की आवश्यकता है, जिसमें सरकार, स्थानीय समुदाय और वन्यजीव संरक्षण संगठन मिलकर काम करें।

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