भारत में सर्पदंश से मौतें: क्षेत्रीय एंटीवेनम की आवश्यकता और समन्वित रणनीतियों की दिशा में कदम

भारत में हर साल हजारों लोग सर्पदंश के कारण जान गंवाते हैं, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में। देश में उपयोग किए जाने वाले पॉलीवैलेन्ट एंटीवेनम केवल ‘बिग फोर’ साँपों — इंडियन कोबरा, कॉमन क्रेट, रसेल्स वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर — के ज़हर के विरुद्ध प्रभावी हैं। लेकिन उत्तर-पूर्वी भारत जैसे क्षेत्रों में, जहाँ अलग प्रजातियाँ ज़हरीले साँपों की सूची में प्रमुख हैं, इन सीरम की प्रभावशीलता सीमित या नगण्य है।

उत्तर-पूर्व भारत में सर्पदंश की अनूठी चुनौती

असम सहित उत्तर-पूर्व भारत में सर्पदंश के लिए ज़िम्मेदार प्रमुख प्रजातियाँ हैं — मोनोकल्ड कोबरा (Naja kaouthia), हरा पिट वाइपर (Trimeresurus sp.) और विभिन्न क्रेट प्रजातियाँ। इन क्षेत्रों में पॉलीवैलेन्ट सीरम से उपचार के बावजूद रोगियों को देरी से राहत मिलती है या कई बार मृत्यु हो जाती है।
इस संदर्भ में, हर्पेटोलॉजिस्ट जयदित्य पुरकायस्थ ने “रीजनल वेनम सेंटर” और “सर्पेंटेरियम” स्थापित करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है। इससे स्थानीय सांपों के ज़हर का संग्रहण, अध्ययन और क्षेत्रीय एंटीवेनम का निर्माण संभव होगा। यह पहल ‘हेल्प अर्थ’ संस्था के माध्यम से असम जैव विविधता बोर्ड और अन्य संस्थाओं के सहयोग से शुरू हुई है।

सर्पदंश से संबंधित महत्त्वपूर्ण आँकड़े और चुनौतियाँ

  • 2000 से 2019 के बीच: भारत में लगभग 12 लाख सर्पदंश मृत्यु हुईं (प्रति वर्ष औसतन 58,000)।
  • उच्च-जोखिम राज्य: बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश (तेलंगाना से पहले), राजस्थान और गुजरात।
  • अधिकांश मौतें: ग्रामीण क्षेत्रों में और वर्षा ऋतु के दौरान होती हैं।
  • प्रभावित आयु वर्ग: 30-69 वर्ष के वयस्क और 15 वर्ष से कम आयु के बच्चे।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत, वैश्विक सर्पदंश मृत्यु दर में अग्रणी देश है।
  • WHO का लक्ष्य है 2030 तक सर्पदंश मृत्यु दर को आधा करना।
  • भारत ने 2024 में ‘राष्ट्रीय सर्पदंश निवारण और नियंत्रण कार्य योजना’ (National Action Plan for Prevention and Control of Snakebite Envenoming) शुरू की।
  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2022 में भारत में 10,085 लोग सर्पदंश से मरे।

समाधान और भविष्य की रणनीतियाँ

राज्य के वन मंत्री चंद्र मोहन पटोवारी ने असम में एक “सर्पेंटेरियम” और “सर्पदंश शमन संचालन समिति” की स्थापना की घोषणा की है। इसके साथ ही, असम जैव विविधता बोर्ड और हेल्प अर्थ संस्था ने मिलकर गाँव-स्तरीय जैव विविधता प्रबंधन समितियों में जागरूकता कार्यक्रम चलाने की योजना बनाई है।
विशेषज्ञों ने एक ऐप या डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित करने का सुझाव भी दिया है, जो साँप-मानव संघर्ष के दौरान वास्तविक समय की सूचना प्रदान कर सके। यह ऐप सांपों के बचाव, स्थानांतरण, और प्रजातियों से संबंधित डेटा संग्रह में भी सहायक होगा, जिससे नीति निर्माण और भूमि उपयोग योजना को दिशा मिल सकेगी।

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