भारत में बाल विवाह में बड़ी गिरावट: अब खत्म करने की दिशा में ठोस कदम

भारत में बाल विवाह की समस्या लंबे समय से चिंता का विषय रही है, लेकिन हाल ही में जारी रिपोर्ट “Tipping Point to Zero: Evidence Towards a Child Marriage Free India” ने इस दिशा में ऐतिहासिक प्रगति को उजागर किया है। ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन’ नेटवर्क द्वारा जारी यह रिपोर्ट बताती है कि पिछले तीन वर्षों में बाल विवाह के मामलों में उल्लेखनीय गिरावट आई है। लड़कियों में बाल विवाह 69% और लड़कों में 72% तक घट गया है। यह उपलब्धि भारत सरकार, राज्य सरकारों और सिविल सोसायटी संगठनों के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है।
भारत की रणनीति और अभियान
भारत सरकार ने बाल विवाह की रोकथाम के लिए बहुस्तरीय रणनीति अपनाई है। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान (Bal Vivah Mukt Bharat) इस दिशा में सबसे प्रमुख पहल है, जिसकी पहुंच लगभग 99% लोगों तक हुई है। पंचायतों, स्कूलों और एनजीओ अभियानों के जरिए इस विषय पर व्यापक जागरूकता फैलाई गई।
सख्त कानूनी कार्रवाई भी बाल विवाह रोकने का महत्वपूर्ण साधन बनी। रिपोर्ट में कहा गया है कि एफआईआर दर्ज करना और गिरफ्तारी जैसे कदम समाज में सबसे मजबूत निवारक सिद्ध हुए। इसके साथ ही, शिक्षा को बढ़ावा देना, गरीबी उन्मूलन, और लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जैसे कदम भी इस दिशा में सहायक बने हैं।
राज्यों का प्रदर्शन
बाल विवाह रोकथाम में असम ने सबसे अधिक प्रगति दर्ज की है, जहां लड़कियों के बाल विवाह में 84% की गिरावट आई। इसके बाद महाराष्ट्र और बिहार (70% प्रत्येक), राजस्थान (66%) और कर्नाटक (55%) का स्थान रहा। यह स्पष्ट करता है कि राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर विशेष योजनाओं और सख्त कानून व्यवस्था से स्थिति को सुधारने में सफल रही हैं।
शिक्षा और सामाजिक अवरोध
रिपोर्ट ने यह भी बताया कि शिक्षा बाल विवाह की रोकथाम का सबसे बड़ा हथियार है। हालांकि, कई क्षेत्रों में चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। उदाहरण के लिए, बिहार में मात्र 9% गांवों में 6–18 वर्ष की सभी लड़कियां स्कूल जाती हैं, जबकि महाराष्ट्र में यह संख्या 51% है। गरीबी (88%), ढांचागत कमी (47%), सुरक्षा चिंताएं (42%), और परिवहन सुविधाओं की कमी (24%) लड़कियों की शिक्षा में मुख्य बाधाएं हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act) 2006 लागू है।
- संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDGs) के अंतर्गत 2030 तक बाल विवाह समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
- 2019–21 तक भारत में हर मिनट लगभग 3 बच्चे बाल विवाह का शिकार हो रहे थे।
- असम, महाराष्ट्र, बिहार और राजस्थान बाल विवाह की रोकथाम में अग्रणी राज्य रहे हैं।