भारत में थिएटर कमांड: रक्षा सुधारों की दिशा में बड़ा कदम

भारतीय सशस्त्र बलों में लंबे समय से चल रही सबसे बड़ी चर्चा ‘थिएटर कमांड’ संरचना को लेकर है। हाल ही में मध्य प्रदेश के महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित त्रि-सेवा संगोष्ठी रण संवाद 2025 के दौरान सेना, नौसेना और वायुसेना के शीर्ष नेतृत्व के बीच इस विषय पर मतभेद एक बार फिर सामने आए। जहां वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने जल्दबाज़ी में थिएटराइजेशन लागू करने से बचने की बात कही, वहीं नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने तीनों सेनाओं के कमांड और नियंत्रण ढांचे को एकीकृत करने की प्रतिबद्धता जताई। इस बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने आश्वस्त किया कि सेवाओं के बीच किसी भी “असंगति” को दूर किया जाएगा।

थिएटर कमांड क्या है?

थिएटर कमांड का उद्देश्य सेना, नौसेना और वायुसेना के संसाधनों को भौगोलिक क्षेत्रों के आधार पर एकीकृत कमांड संरचना के तहत लाना है। इससे हर थिएटर कमांड एक विशेष क्षेत्र की ज़िम्मेदारी संभालेगा और उसमें सभी तीनों सेनाओं की क्षमताओं का संयुक्त उपयोग होगा। वर्तमान में थलसेना और वायुसेना के सात-सात कमांड हैं, जबकि नौसेना के तीन कमांड हैं। इनके अलावा अंडमान-निकोबार कमांड और स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड जैसे दो त्रि-सेवा कमांड पहले से ही कार्यरत हैं।

थिएटराइजेशन की आवश्यकता क्यों?

आधुनिक युद्ध बहु-आयामी (multi-domain) होते जा रहे हैं, जिनमें ज़मीन, समुद्र, आकाश के अलावा ड्रोन, साइबर और अंतरिक्ष जैसी नई चुनौतियाँ भी शामिल हैं। ऐसे में अलग-अलग सेनाओं द्वारा अलग रणनीति अपनाने के बजाय एकीकृत कमांड बेहतर तालमेल और तेज़ निर्णय सुनिश्चित करेगा। अमेरिका, चीन और रूस जैसी उन्नत सेनाओं में यह ढांचा पहले से ही लागू है। भारत भी भविष्य की लड़ाइयों में संयुक्त क्षमता का अधिकतम उपयोग करने के लिए यह कदम उठा रहा है।

अब तक की यात्रा

2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस भाषण में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) पद की घोषणा की थी। इसके बाद दिसंबर 2019 में सरकार ने सीडीएस और डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स (डीएमए) का गठन किया। इसे ही थिएटर कमांड जैसी संरचनाओं के लिए जिम्मेदार बनाया गया। शुरुआत में चार थिएटर कमांड बनाने की योजना बनी — एक एयर डिफेंस, एक मैरीटाइम और दो जमीनी थिएटर। बाद में इस मॉडल में संशोधन करते हुए चीन और पाकिस्तान केंद्रित थिएटरों के साथ एक समुद्री थिएटर का प्रस्ताव रखा गया।

चुनौतियाँ और मतभेद

थिएटर कमांड बनाने का सबसे बड़ा अवरोध यह है कि इसके लिए दशकों से कार्यरत मौजूदा सेवा-विशिष्ट कमांड को खत्म करना होगा। वायुसेना का मानना है कि इससे उसके सीमित संसाधनों का विभाजन हो सकता है और उसकी doctrinal स्वतंत्रता प्रभावित होगी। पूर्व वायुसेना प्रमुखों ने भी चेतावनी दी थी कि थिएटराइजेशन से निर्णय लेने की प्रक्रिया और लंबी नहीं होनी चाहिए। वहीं, नौसेना और थलसेना इसे एकीकृत लड़ाई के लिए जरूरी मानते हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत में पहला त्रि-सेवा कमांड अंडमान और निकोबार कमांड (2001) में बना था।
  • स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड (2003) भारत के परमाणु हथियारों का नियंत्रण करता है।
  • अमेरिका और चीन जैसे देशों में थिएटर कमांड प्रणाली पहले से लागू है।
  • सीडीएस पद का सृजन 2019 में हुआ और जनरल बिपिन रावत इसके पहले पदाधिकारी बने।

अंततः, थिएटर कमांड की दिशा में भारत की यात्रा आसान नहीं है। यह केवल ढांचे का बदलाव नहीं, बल्कि सैन्य रणनीति और सोच में भी बड़ा परिवर्तन है। मतभेदों के बावजूद, यह सुधार आधुनिक युद्धक्षेत्र की आवश्यकताओं को देखते हुए अपरिहार्य प्रतीत होता है। अब देखना यह होगा कि सरकार और सैन्य नेतृत्व किस तरह सभी सेवाओं को एक सूत्र में पिरोकर इस ऐतिहासिक सुधार को साकार करते हैं।

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