भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स का उदय: अवसर और रणनीतिक चुनौतियाँ

भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) की तेज़ी से बढ़ती उपस्थिति ने देश को एक वैश्विक सेवा केंद्र के रूप में स्थापित किया है। लगभग 1,600 से अधिक बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में अपने GCC स्थापित किए हैं — यह भारत को सेवा निर्यात में चीन के हार्डवेयर निर्माण के समकक्ष बना रहा है। हालांकि, इस परिवर्तन ने नीति-निर्माताओं के बीच कुछ रणनीतिक चिंताओं को भी जन्म दिया है।
GCCs: नई सेवा अर्थव्यवस्था की रीढ़
भारत में आज दुनिया के लगभग 20% चिप डिज़ाइनर मौजूद हैं। अमेज़न का सबसे बड़ा बैकऑफिस हैदराबाद में है और गोल्डमैन सैक्स के 20% कर्मचारी बेंगलुरु और हैदराबाद में कार्यरत हैं। इन GCCs का भारत के सेवा निर्यात में लगभग 40% योगदान है, जो IT सेवा क्षेत्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यात खंड बन गया है।
नीति निर्माताओं की चिंताएँ
हालाँकि सरकार GCCs के बढ़ते प्रभाव को सकारात्मक मानती है, परंतु कुछ प्रमुख चिंताएँ भी सामने आई हैं:
- आईटी सेवा कंपनियों पर असर: GCCs की गतिविधियाँ पारंपरिक IT कंपनियों से मिलता-जुलता कार्य कर रही हैं, जिससे उनके राजस्व और वैश्विक काम में कमी आने का डर है।
- बौद्धिक संपदा (IP) का स्थानीयकरण नहीं: अधिकांश GCCs उच्च गुणवत्ता वाला, गैर-आउटसोर्सेबल कार्य नहीं कर रही हैं, जिससे भारत में IP का सृजन नहीं हो रहा है।
- कम लागत पर काम का स्थानांतरण: कई छोटे GCCs इंजीनियरों के बजाय कम वेतन पर विज्ञान स्नातकों को नियुक्त कर रहे हैं, जिससे कौशल विकास की दिशा पर सवाल उठते हैं।
GCCs बनाम IT सेवाएं: टकराव की स्थिति?
GCCs और भारतीय आईटी कंपनियों दोनों का उद्देश्य है बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए आउटसोर्स योग्य काम को भारत में लाना। लेकिन जहां IT कंपनियों का कार्य आउटसोर्सिंग पर आधारित रहा है, वहीं GCCs बहुराष्ट्रीय कंपनियों का इन-हाउस विस्तार हैं। इसका मतलब यह भी है कि भविष्य में GCCs IT सेवाओं के हिस्से को निगल सकते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत में लगभग 1,600 GCCs कार्यरत हैं।
- ये केंद्र भारत के सेवा निर्यात का 40% योगदान करते हैं।
- चिप डिजाइनिंग में भारत में वैश्विक डिज़ाइनरों का लगभग 20% हिस्सा है।
- भारत में अमेज़न का सबसे बड़ा वैश्विक बैकऑफिस है (हैदराबाद)।
- भारत सरकार DLI 2.0 योजना के तहत IP को स्थानीय रूप से वेस्ट कराने पर विचार कर रही है।
भविष्य की दिशा: उत्पाद-आधारित अर्थव्यवस्था
नीति-निर्माता अब भारत को ‘प्रोडक्ट नेशन’ के रूप में स्थापित करने की दिशा में सोच रहे हैं। इसके लिए जरूरी है कि GCCs और IT कंपनियाँ केवल लागत लाभ के आधार पर न चलें, बल्कि नवाचार, IP निर्माण और तकनीकी गहराई को अपनाएँ। सरकार अब इस पर विचार कर रही है कि नवीनतम चिप डिज़ाइन प्रोत्साहन योजना (DLI 2.0) में IP का भारत में सृजन एक अनिवार्य शर्त हो।