भारत में खाद्यान्न भंडारण: कृषि समृद्धि और खाद्य सुरक्षा की रीढ़

भारत में खाद्यान्न भंडारण: कृषि समृद्धि और खाद्य सुरक्षा की रीढ़

भारत की कृषि व्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी कृषि प्रणालियों में से एक है, जो देश की अर्थव्यवस्था की नींव और खाद्य सुरक्षा का आधार है। लगातार रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद, इस उपज को सुरक्षित रखने के लिए मज़बूत भंडारण व्यवस्था उतनी ही महत्वपूर्ण है। आधुनिक वेयरहाउस, कोल्ड स्टोरेज और विकेन्द्रीकृत भंडारण तंत्र किसानों को बेहतर दाम दिलाने, उपभोक्ताओं तक अनाज पहुँचाने और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को मज़बूती देने में अहम भूमिका निभाते हैं।

खाद्यान्न उत्पादन और भंडारण की आवश्यकता

भारत ने वर्ष 2024-25 में 353.96 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन कर नया रिकॉर्ड बनाया है। इसमें 117.51 मिलियन टन गेहूं और 149.07 मिलियन टन चावल शामिल हैं। इतना विशाल उत्पादन तभी सार्थक है जब इसे सुरक्षित रखा जाए। उचित भंडारण से न केवल अनाज की गुणवत्ता बनी रहती है, बल्कि मूल्य स्थिरीकरण और किसानों की आय वृद्धि भी सुनिश्चित होती है।

केंद्रीय भंडारण: FCI की भूमिका

भारतीय खाद्य निगम (FCI) केंद्रीय भंडारण का प्रमुख संस्थान है। यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं, चावल आदि की खरीद कर उसे वैज्ञानिक गोदामों और स्टील साइलोज़ में सुरक्षित रखता है। जुलाई 2025 तक, FCI और राज्य एजेंसियों के पास 917.83 लाख मीट्रिक टन की भंडारण क्षमता उपलब्ध है। यही भंडार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को मजबूती देते हैं और पूरे वर्ष खाद्य सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित करते हैं।

कोल्ड स्टोरेज और कोल्ड चेन अवसंरचना

फलों, सब्ज़ियों, डेयरी उत्पादों और मांस जैसे नाशवान उत्पादों के संरक्षण हेतु कोल्ड स्टोरेज अत्यंत आवश्यक हैं। भारत में जून 2025 तक 8,815 कोल्ड स्टोरेज कार्यरत हैं जिनकी क्षमता 402.18 लाख मीट्रिक टन है। यह ढांचा न केवल ताजगी बनाए रखता है बल्कि प्रसंस्करण उद्योग और निर्यात को भी बढ़ावा देता है।

विकेन्द्रीकृत भंडारण और PACS की भूमिका

ग्राम स्तर पर प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (PACS) किसानों को भंडारण और विपणन की सुविधा देती हैं। इनके गोदामों की क्षमता 500 से 2000 मीट्रिक टन तक होती है। PACS सीधे खरीद केंद्र और उचित मूल्य की दुकान (FPS) के रूप में काम करती हैं। 2025 तक 73,492 PACS का कंप्यूटरीकरण किया जा चुका है, जिससे पारदर्शिता और दक्षता बढ़ी है।

भंडारण क्षमता बढ़ाने वाली प्रमुख योजनाएँ

  • कृषि अवसंरचना कोष (AIF): 2020 में शुरू, अब तक 1.27 लाख परियोजनाओं को 73,155 करोड़ रुपये की स्वीकृति।
  • कृषि विपणन अवसंरचना (AMI): 49,796 परियोजनाओं को मंज़ूरी, 982.94 लाख मीट्रिक टन क्षमता का निर्माण।
  • प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY): 1,601 परियोजनाएँ, जिनसे 255.66 लाख मीट्रिक टन प्रसंस्करण क्षमता बनी।
  • विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना: PACS स्तर पर गोदाम और प्रसंस्करण इकाइयों के निर्माण की दिशा में कार्य।
  • स्टील साइलोज़ और PPP मॉडल: 2025 तक 48 स्थानों पर 27.75 लाख मीट्रिक टन क्षमता पूरी, और कई निर्माणाधीन।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत का कुल खाद्यान्न उत्पादन 2024-25 में 353.96 मिलियन टन रहा।
  • FCI और राज्य एजेंसियों के पास 917.83 लाख मीट्रिक टन की भंडारण क्षमता उपलब्ध है।
  • भारत में 8,815 कोल्ड स्टोरेज हैं जिनकी क्षमता 402.18 लाख मीट्रिक टन है।
  • 2025 तक 73,492 PACS को कंप्यूटरीकृत किया जा चुका है।

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