भारत में कंप्यूटर आधारित आविष्कारों की पेटेंट जांच के लिए नए दिशा-निर्देश जारी: AI और ब्लॉकचेन जैसे तकनीकों को मिली स्पष्टता

भारत सरकार के पेटेंट, डिज़ाइंस और ट्रेडमार्क के नियंत्रक जनरल कार्यालय (CGPDTM) ने कंप्यूटर संबंधित आविष्कारों (Computer Related Inventions – CRIs) की जांच के लिए संशोधित दिशा-निर्देश 2025 जारी कर दिए हैं। यह कदम भारत के पेटेंट प्रक्रिया को वैश्विक मानकों के अनुरूप लाने और तेजी से बदलती तकनीकी दुनिया में पारदर्शिता और पूर्वानुमेयता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
संशोधित दिशा-निर्देशों की प्रमुख विशेषताएँ
- न्यायशास्त्र पर विशेष अध्याय: CRI मामलों से जुड़ी कानूनी बारीकियों को स्पष्ट करने वाला विस्तृत अध्याय शामिल किया गया है।
- धारा 3(k) के लिए चरणबद्ध मूल्यांकन पद्धति: इसे कई उदाहरणों के साथ प्रस्तुत किया गया है ताकि आविष्कारों की पात्रता को बेहतर तरीके से समझा जा सके।
- प्रवाह चार्ट (Flowcharts): IPO अधिकारियों और हितधारकों की सहायता के लिए प्रक्रिया को विज़ुअल रूप में प्रस्तुत किया गया है।
- AI, ML, DL, Blockchain, Quantum Computing जैसे उभरते तकनीकों के लिए विशिष्ट अध्याय: इनमें खुलासा आवश्यकता (sufficiency of disclosure) और ऐसे पहलुओं पर उदाहरण दिए गए हैं जो आविष्कार को धारा 3(k) के अपवर्जन से बाहर ला सकते हैं।
- उदाहरणों की सूची: 20 मुख्य उदाहरणों के अलावा 40 अतिरिक्त उदाहरणों की एक परिशिष्ट भी शामिल है, जो स्वीकार्य और अस्वीकार्य दावों को स्पष्ट करती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- धारा 3(k) भारतीय पेटेंट अधिनियम की वह धारा है जो कंप्यूटर प्रोग्राम और एल्गोरिदम जैसे आविष्कारों को पेटेंट से बाहर रखती है।
- AI, ML, Blockchain जैसी तकनीकों की पेटेंट योग्यता को लेकर पहले अस्पष्टता थी, जिसे नए दिशानिर्देशों से संबोधित किया गया है।
- दिशा-निर्देशों का मसौदा पहली बार 25 मार्च 2025 को प्रकाशित हुआ था, और देशभर के चार प्रमुख शहरों में परामर्श सत्र आयोजित किए गए।
पारदर्शिता और भागीदारी पर ज़ोर
संशोधित दिशा-निर्देश व्यापक हितधारक परामर्श के बाद तैयार किए गए हैं। 26 जून 2025 को दूसरे मसौदे पर अंतिम टिप्पणियाँ आमंत्रित की गई थीं।
नीति और नवाचार को मिलेगा प्रोत्साहन
नए दिशानिर्देश विशेष रूप से AI आधारित और अन्य उन्नत तकनीक से जुड़े आविष्कारों की पेटेंट प्रक्रिया को स्पष्टता देंगे। इससे न केवल आविष्कारक और स्टार्टअप्स को मार्गदर्शन मिलेगा, बल्कि पेटेंट अधिकारियों की निर्णय प्रक्रिया भी सुव्यवस्थित होगी।
नवाचार, पारदर्शिता और वैश्विक समरूपता की दिशा में यह एक स्वागतयोग्य पहल है जो भारत के तकनीकी पेटेंट परिदृश्य को मजबूती प्रदान करेगी।