भारत-नेपाल के बीच ऊर्जा सहयोग को लेकर दो अहम समझौते

भारत-नेपाल के बीच ऊर्जा सहयोग को लेकर दो अहम समझौते

भारत और नेपाल ने ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय बिजली व्यापार को मजबूती देने के उद्देश्य से दो महत्वपूर्ण समझौते किए हैं। ये समझौते दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ते सहयोग और विश्वास को दर्शाते हैं, जिनसे सीमा पार विद्युत संपर्क को नई दिशा मिलेगी।

समझौतों का मुख्य उद्देश्य

भारत की पावरग्रिड कॉरपोरेशन और नेपाल की नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के बीच हुए इन समझौतों का मुख्य उद्देश्य दो उच्च क्षमता वाली ट्रांसमिशन लाइनों का विकास है। इनमें पहली लाइन नेपाल के इनरुवा से भारत के न्यू पूर्णिया तक 400 किलोवोल्ट की है, जबकि दूसरी लाइन नेपाल के लामकी और डोडोधारा से भारत के बरेली तक 400 किलोवोल्ट की होगी। ये लाइनें दोनों देशों के पावर ग्रिड को आपस में जोड़ने में अहम भूमिका निभाएंगी।

संयुक्त उद्यमों की स्थापना

इन परियोजनाओं के लिए दोनों देशों में अलग-अलग संयुक्त उद्यम इकाइयों (जॉइंट वेंचर) की स्थापना की जाएगी। भारत में एक और नेपाल में एक जॉइंट वेंचर बनाया जाएगा जो इन ट्रांसमिशन कॉरिडोर्स के निर्माण और संचालन का कार्य देखेगा। इससे दोनों देशों के बीच न केवल तकनीकी सहयोग बढ़ेगा, बल्कि निवेश और संसाधनों का भी साझा उपयोग संभव होगा।

दीर्घकालिक लाभ

इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद भारत और नेपाल के बीच बिजली व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है। इससे दोनों देशों के ग्रिड की स्थिरता और लचीलापन बढ़ेगा, जिससे आपातकालीन स्थितियों में एक-दूसरे को सहायता प्रदान करना भी संभव होगा। इसके अलावा, यह परियोजना क्षेत्रीय ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगी और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत और नेपाल के बीच पहली अंतरराष्ट्रीय विद्युत ट्रांसमिशन लाइन मुजफ्फरपुर (भारत) से धलकेबर (नेपाल) के बीच 2016 में शुरू हुई थी।
  • पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (POWERGRID) भारत सरकार की एक महारत्न कंपनी है जो ट्रांसमिशन नेटवर्क का निर्माण और संचालन करती है।
  • नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (NEA) नेपाल सरकार की प्रमुख ऊर्जा कंपनी है जो देश की विद्युत उत्पादन, संचरण और वितरण की जिम्मेदार है।
  • भारत, नेपाल को बिजली निर्यात करने के साथ-साथ नेपाल से जलविद्युत आयात करने की दिशा में भी प्रयासरत है।

यह समझौता दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊर्जा देगा और क्षेत्रीय ऊर्जा सहयोग का एक मॉडल प्रस्तुत करेगा। इससे न केवल तकनीकी और आर्थिक लाभ होंगे, बल्कि ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और सतत विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

Originally written on October 31, 2025 and last modified on October 31, 2025.

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