भारत के लौह पुरुष: सरदार वल्लभभाई पटेल की राष्ट्र निर्माण में भूमिका
 
स्वतंत्रता प्राप्ति के ठीक पहले और बाद के कठिन वर्षों में सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत की राजनीतिक संरचना और प्रशासनिक नींव को स्थिरता प्रदान की। उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री के रूप में उन्होंने दृढ़ता और कूटनीति का समन्वय करते हुए न केवल देश की एकता सुनिश्चित की, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था को भी सुदृढ़ किया। उनकी व्यावहारिक सोच ने राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रशासनिक संरचना दोनों में स्थायित्व लाया।
देशी रियासतों का एकीकरण
1947 में स्वतंत्रता के समय भारत का लगभग 40% भूभाग 565 देशी रियासतों के अधीन था। यह स्थिति देश की एकता के लिए चुनौती थी। सरदार पटेल ने वी.पी. मेनन के साथ मिलकर ‘एकीकरण के साधन पत्र’ (Instruments of Accession) के माध्यम से इन रियासतों को भारत में मिलाने का कार्य किया। उन्होंने संवाद, दबाव और रणनीतिक दृढ़ता के साथ यह प्रक्रिया पूरी की। हैदराबाद के निज़ाम द्वारा विलय से इंकार करने पर उन्होंने 1948 में ‘ऑपरेशन पोलो’ की योजना बनाई, जिससे राज्य भारत में सम्मिलित हो गया। इस कार्रवाई ने भारत में विघटन की संभावनाओं को समाप्त कर दिया और राष्ट्रीय एकता को मजबूती दी।
अखिल भारतीय सिविल सेवा की स्थापना
स्वतंत्रता के बाद एक केंद्रीकृत सिविल सेवा को बनाए रखने को लेकर संदेह था। लेकिन सरदार पटेल ने स्पष्ट रूप से कहा कि एक निष्पक्ष, योग्यता आधारित प्रशासनिक ढांचा ही देश को एकसूत्र में बांध सकता है। अक्टूबर 1946 में प्रांतीय प्रधानमंत्रियों के सम्मेलन से उन्होंने इस दिशा में पहल की। इसके परिणामस्वरूप भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की स्थापना हुई, जिसने ICS की जगह ली। उन्होंने युवा अधिकारियों को कर्तव्यनिष्ठा, कुशलता और विनम्रता से सेवा करने का संदेश दिया।
स्वतंत्र भारत की पहली जनगणना की आधारशिला
फरवरी 1950 में दिल्ली में आयोजित जनगणना अधीक्षकों के सम्मेलन में सरदार पटेल ने स्वतंत्र भारत की पहली जनगणना को एक प्रशासनिक और विकासात्मक उपकरण के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने इसे मात्र गणना न मानकर सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों के संग्रहण का माध्यम माना, जिससे योजनाओं और नीतियों का निर्माण संभव हो सके। उनकी दृष्टि ने 1951 की जनगणना को दिशा दी, जिससे प्रारंभिक योजना निर्माण को वैज्ञानिक आधार मिला।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नडियाद (गुजरात) में हुआ और 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में उनका निधन हुआ।
- वह स्वतंत्र भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री (1947–1950) थे।
- ऑपरेशन पोलो के माध्यम से हैदराबाद का भारत में विलय सितंबर 1948 में हुआ।
- ‘सरदार’ की उपाधि उन्हें 1928 के बारडोली सत्याग्रह के नेतृत्व के लिए मिली।
जन आंदोलनों और सुरक्षा दृष्टिकोण
पटेल की संगठनात्मक क्षमताएं खेड़ा (1918) और बारडोली (1928) के किसान आंदोलनों में निखरीं, जहाँ उन्होंने कर नहीं देने की अनुशासित और शांतिपूर्ण रणनीति अपनाई। इन आंदोलनों ने उन्हें एक जननेता के रूप में स्थापित किया। 17 जनवरी 1948 को मुंबई के चौपाटी में उन्होंने कहा था कि संप्रभुता की रक्षा के लिए एक मजबूत सेना अनिवार्य है। उन्होंने गांधीवादी आदर्शों के साथ-साथ व्यावहारिक राष्ट्र सुरक्षा की भी पक्षधरता की।
