भारत के एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी तक पहली समुद्री यात्रा: अंडमान पर्यटन को मिली नई दिशा

भारत के एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी तक पहली समुद्री यात्रा: अंडमान पर्यटन को मिली नई दिशा

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल के तहत ‘सिंधु’ नामक यात्री पोत ने भारत के एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी — बेरन द्वीप — की अपनी पहली सफल यात्रा पूरी की है। पोत 24 अक्टूबर 2025 की रात पोर्ट ब्लेयर के हैड्डो वॉर्फ से रवाना हुआ और अगले दिन 25 अक्टूबर को सुरक्षित रूप से लौट आया।

बेरन द्वीप: समुद्र के बीच ज्वालामुखी का रहस्यमय सौंदर्य

बेरन द्वीप पोर्ट ब्लेयर से लगभग 140 किलोमीटर समुद्री दूरी पर स्थित है और भारतीय उपमहाद्वीप का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है। यह द्वीप निर्जन है और भारतीय व बर्मी टेक्टोनिक प्लेटों के संगम पर स्थित है। अब तक यह स्थल केवल वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की पहुंच में रहा है, लेकिन इस पहल के बाद यह आम पर्यटकों के लिए भी सुलभ हो गया है।
यात्रा के दौरान यात्रियों को समुद्र के बीच चमकते ज्वालामुखी का रात में अद्भुत दृश्य देखने को मिला। अगली सुबह, पोत ने द्वीप की परिक्रमा की, जिससे सभी यात्रियों को सूर्योदय के साथ ज्वालामुखी का भव्य दृश्य देखने का मौका मिला।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • सिंधु पोत की यह पहली आधिकारिक पर्यटक यात्रा थी जो बेरन द्वीप तक गई।
  • बेरन द्वीप भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है, जो अंडमान सागर में स्थित है।
  • यात्रा में 500 यात्रियों की क्षमता वाले पोत में लगभग पूरी क्षमता से यात्री सवार थे, जिनमें 125 सरकारी स्कूलों के छात्र भी शामिल थे।
  • हर महीने इस प्रकार की दो यात्राएं आयोजित की जाएंगी।
  • यात्रा के चार श्रेणियाँ हैं: ‘Coral Suite’ (₹8,310), ‘Reef Suite’ (₹6,340), ‘Island Breeze’ (₹4,290) और ‘Lagoon’ (₹3,180), तथा भोजन के लिए अतिरिक्त ₹2,000 शुल्क।

अंडमान पर्यटन के लिए एक नया अध्याय

अंडमान और निकोबार के मुख्य सचिव चंद्र भूषण कुमार ने बताया कि यह पहली बार है जब केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने इस प्रकार की यात्रा को आम लोगों के लिए शुरू किया है। अब हर महीने दो बार इस सेवा का संचालन किया जाएगा, जिससे पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को इस अद्वितीय प्राकृतिक दृश्य को देखने का अवसर मिलेगा।
पोत पर सफर करने वाले यात्रियों ने सेवा, सफाई और भोजन की गुणवत्ता की खूब सराहना की। एक यात्री अर्चना देवी ने कहा, “कुछ समुद्री मील की दूरी से ज्वालामुखी को देखना अविश्वसनीय अनुभव था।” वहीं अन्य यात्रियों ने चालक दल की विनम्रता और समग्र अनुभव को “यादगार” बताया।

Originally written on October 29, 2025 and last modified on October 29, 2025.

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