भारत की पहली हाइड्रोजन-चालित ट्रेन: जिंद-सोनीपत रूट पर जल्द शुरू होगी हरित क्रांति

भारतीय रेलवे ने एक बड़ा कदम उठाते हुए देश की पहली हाइड्रोजन-चालित ट्रेन को सभी परीक्षणों के बाद संचालन के लिए तैयार घोषित कर दिया है। यह ऐतिहासिक पहल न केवल राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को बल देगी, बल्कि भारत को 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य की ओर अग्रसर करेगी।
जिंद-सोनीपत रूट पर पहली सेवा
- रूट: जिंद से सोनीपत (हरियाणा) – कुल दूरी 89 किमी
- अधिकतम गति: 110 किमी/घंटा
- यात्री क्षमता: 2,638 यात्री
- इंजन शक्ति: 1,200 हॉर्सपावर (HP)
- श्रेणी: दुनिया की सबसे शक्तिशाली और सबसे लंबी हाइड्रोजन ट्रेन
यह सेवा पर्यावरण के अनुकूल परिवहन विकल्प के रूप में शून्य उत्सर्जन समाधान प्रदान करेगी।
हाइड्रोजन से ऊर्जा कैसे बनती है?
- इलेक्ट्रोलाइज़र पानी को ऑक्सीजन, प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों में विभाजित करता है।
- हाइड्रोजन गैस को इकट्ठा कर ट्रेन में फ्यूल टैंकों में भरा जाता है।
- ट्रेन में फ्यूल सेल के माध्यम से हाइड्रोजन फिर से पानी में परिवर्तित होती है — इस प्रक्रिया से उत्पन्न इलेक्ट्रॉनिक धारा ट्रेन को चलाने वाली मोटर को शक्ति देती है।
- इस पूरे प्रक्रिया में केवल पानी उप-उत्पाद के रूप में निकलता है — कोई प्रदूषण नहीं।
ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन
- जिंद में 1-MW पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन इलेक्ट्रोलाइज़र स्थापित है जो प्रतिदिन 430 किलोग्राम हाइड्रोजन उत्पन्न करता है।
- यह बिजली सौर और पवन ऊर्जा जैसी नवीकरणीय स्रोतों से ली जाती है, जिससे उत्पादित हाइड्रोजन वास्तव में “ग्रीन” होती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यह सेवा शुरू होने पर भारत जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन के बाद हाइड्रोजन ट्रेनों को अपनाने वाला पाँचवां देश बन जाएगा।
- ₹2,800 करोड़ का बजट 2023–24 में रेलवे द्वारा आवंटित किया गया है, जिसके तहत 35 हाइड्रोजन फ्यूल सेल ट्रेनें विकसित की जाएंगी।
- ट्रेन को इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), चेन्नई में डिजाइन और निर्मित किया गया है।
- शोध संस्थान जैसे JNCASR, बैंगलोर और वैज्ञानिक सी.एन.आर. राव की टीम सस्ते और टिकाऊ इलेक्ट्रोलाइज़र विकसित करने में सक्रिय हैं।
भविष्य की राह
भारत का ग्रीन हाइड्रोजन मिशन 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य लेकर चल रहा है। सौर, पवन और जैविक प्रक्रियाओं के संयोजन से भविष्य में हाइड्रोजन को सस्ता और सुलभ ईंधन बनाया जा सकता है।
यह ट्रेन भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता, सतत विकास, और साफ-सुथरे परिवहन की दिशा में एक आदर्श मॉडल बनकर उभरेगी। जैसे ही यह सेवा शुरू होगी, यह पर्यावरण और यात्रियों — दोनों के लिए एक नई सुबह लेकर आएगी।