भारत की पहली एआई गवर्नेंस गाइडलाइंस: जिम्मेदार नवाचार की दिशा में कदम
भारत ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में जिम्मेदार नियमन की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए अपनी पहली एआई गवर्नेंस गाइडलाइंस जारी की हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा नवंबर 2025 में जारी इस ढांचे का उद्देश्य है कि तकनीकी नवाचार और सार्वजनिक भरोसे के बीच संतुलन बना रहे, बिना किसी कठोर नए कानून के।
नया कानून नहीं, मौजूदा नियमों में लचीलापन
नई गाइडलाइंस का दृष्टिकोण यह है कि वर्तमान कानूनी ढांचे में लचीलापन अपनाते हुए AI से जुड़े नए मुद्दों को संबोधित किया जाए। इसके तहत सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000; डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023; और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 जैसे मौजूदा कानूनों का पुनर्परिभाषण किया जाएगा। एआई से जुड़े पूर्वाग्रह, गलत सूचना और डेटा दुरुपयोग जैसे उभरते मुद्दों को ध्यान में रखते हुए इन कानूनों की व्याख्या को अद्यतन करने की बात कही गई है।
“इंटरमीडियरी” की परिभाषा में बदलाव की सिफारिश
आईटी अधिनियम की धारा 79 के अंतर्गत “सेफ हार्बर” के दायरे में आने वाले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अभी तक केवल थर्ड पार्टी कंटेंट होस्ट या ट्रांसमिट करने वाले माध्यम माने जाते थे। लेकिन अब गाइडलाइंस सुझाव देती हैं कि जो एआई सिस्टम स्वतः जानकारी उत्पन्न या संशोधित करते हैं, उन्हें भी इस परिभाषा में लाया जाए या फिर उन पर अलग उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाए। इससे यह तय किया जा सकेगा कि ऐसे एआई सिस्टम कानून के प्रति उत्तरदायी होंगे या नहीं।
नीति और प्रौद्योगिकी के बीच सेतु निर्माण
गवर्नेंस फ्रेमवर्क यह भी स्पष्ट करता है कि डेटा सुरक्षा, उपभोक्ता अधिकारों और साइबर सुरक्षा नीतियों के बीच समन्वय आवश्यक है। गाइडलाइंस में एआई मॉडलों की पारदर्शिता और स्पष्टता (explainability) को प्राथमिकता दी गई है, साथ ही जोखिम-आधारित अनुपालन को बढ़ावा देने की बात कही गई है। उच्च जोखिम वाले एआई सिस्टम्स की राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनाने का सुझाव भी दिया गया है, जिससे उनकी निगरानी और नैतिक उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- एआई गवर्नेंस गाइडलाइंस नवंबर 2025 में MeitY द्वारा जारी की गईं।
- कोई नया AI विशेष कानून नहीं बनाया गया; मौजूदा कानूनों को लचीले ढंग से लागू किया जाएगा।
- आईटी अधिनियम की धारा 79 “इंटरमीडियरीज़” को उत्तरदायित्व से संरक्षण देती है।
- गाइडलाइंस में डेटा नैतिकता, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व पर विशेष ज़ोर दिया गया है।
भारत का यह दृष्टिकोण “लाइट-टच रेगुलेशन” के अंतरराष्ट्रीय रुझान के अनुरूप है, जिसमें नवाचार को प्रोत्साहन और नैतिक सीमाओं को प्राथमिकता दी जाती है। मौजूदा कानूनों का उपयोग कर एक व्यावहारिक और अनुकूलनीय ढांचा तैयार किया गया है, जो तकनीकी विकास के साथ-साथ जनहित को भी सशक्त बनाएगा। यह पहल न केवल भारत के डिजिटल शासन ढांचे को सशक्त बनाती है, बल्कि वैश्विक एआई नेतृत्व की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।