भारत की ऊर्जा क्रांति: 500 GW की स्थापित विद्युत क्षमता और 50% गैर-जीवाश्म स्रोत
 
भारत ने ऊर्जा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए 500 गीगावॉट (GW) से अधिक की स्थापित विद्युत क्षमता का आंकड़ा पार कर लिया है, जिसमें 50% से अधिक योगदान नवीकरणीय और गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों का है। यह उपलब्धि न केवल भारत के ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।
2014 से अब तक की प्रगति
2014 में भारत की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 249 GW थी, जो सितंबर 2025 तक बढ़कर 500.89 GW हो गई है। इस दोगुनी वृद्धि के पीछे सरकार की दीर्घकालिक नीतियां, निजी क्षेत्र की भागीदारी और हरित ऊर्जा की ओर बढ़ता रुझान प्रमुख कारण रहे हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा का वर्चस्व
वर्तमान में भारत की 500.89 GW कुल क्षमता में से 256.09 GW यानी लगभग 51% हिस्सा नवीकरणीय, जलविद्युत और परमाणु ऊर्जा जैसे गैर-जीवाश्म स्रोतों से आता है। वहीं, जीवाश्म ईंधन आधारित उत्पादन 244.80 GW है, जो कुल का लगभग 49% है।
खास बात यह है कि भारत ने 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50% विद्युत क्षमता प्राप्त करने का जो COP26 लक्ष्य रखा था, उसे पांच साल पहले ही पूरा कर लिया है।
हाल की प्रगति
- वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में 28 GW गैर-जीवाश्म और 5.1 GW जीवाश्म आधारित क्षमता जोड़ी गई।
- 29 जुलाई 2025 को भारत ने सबसे अधिक नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बिजली उत्पादन रिकॉर्ड किया, जब देश की कुल 203 GW की मांग में से 51.5% ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों से आई।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- COP26 सम्मेलन में भारत ने वर्ष 2030 तक कुल विद्युत क्षमता का 50% गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा था, जिसे अब 2025 में ही हासिल कर लिया गया है।
- RE+Hydro+Nuclear की कुल संयुक्त क्षमता 256.09 GW है, जो कुल स्थापित क्षमता का 51% है।
- भारत की कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता अब 500.89 GW हो चुकी है, जो दुनिया की सबसे बड़ी विद्युत प्रणालियों में से एक है।
- वर्ष 2014 में कुल स्थापित क्षमता 249 GW थी, यानी 11 वर्षों में यह लगभग दोगुनी हो चुकी है।
भारत की यह उपलब्धि दर्शाती है कि देश न केवल ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, बल्कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। सौर, पवन, जल और परमाणु ऊर्जा जैसे विकल्पों पर बल देकर भारत एक स्थायी और पर्यावरण-संवेदनशील ऊर्जा भविष्य की ओर अग्रसर है। यह प्रगति देश की आर्थिक विकास गति को गति देने के साथ-साथ लाखों रोजगार के अवसर भी उत्पन्न कर रही है।
