भारत का पहला पोर्ट-आधारित ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्रोजेक्ट: VOC पोर्ट बना हरित ऊर्जा का अग्रदूत

भारत के बंदरगाह क्षेत्र में हरित ऊर्जा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्रीय पोत, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने तमिलनाडु के वी. ओ. चिदंबरनार (VOC) पोर्ट पर देश का पहला पोर्ट-आधारित ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया। यह परियोजना भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण और “विकसित भारत 2047” के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

परियोजना की मुख्य विशेषताएँ

  • स्थान: वी. ओ. चिदंबरनार पोर्ट, तूतिकोरिन, तमिलनाडु
  • क्षमता: 10 Nm³ प्रति घंटा
  • लागत: ₹3.87 करोड़
  • उपयोग: पोर्ट कॉलोनी में स्ट्रीटलाइट्स और इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन को ऊर्जा प्रदान करना

यह पायलट प्रोजेक्ट VOC पोर्ट को देश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादक बंदरगाह बना देता है।

हरित शिपिंग की ओर बड़ा कदम

इस परियोजना के तहत एक ग्रीन मेथनॉल बंकरिंग और रिफ्यूलिंग सुविधा की आधारशिला भी रखी गई है:

  • क्षमता: 750 m³
  • लागत: ₹35.34 करोड़
  • संबंधित योजना: प्रस्तावित “Kandla–Tuticorin कोस्टल ग्रीन शिपिंग कॉरिडोर”

इस पहल से VOC पोर्ट दक्षिण भारत का एक प्रमुख ग्रीन बंकरिंग हब बनने की दिशा में अग्रसर होगा।

अन्य लॉन्च और बुनियादी ढांचा परियोजनाएँ

  • 400 KW रूफटॉप सोलर प्लांट (कुल क्षमता अब 1.04 MW – भारत के सभी बंदरगाहों में सबसे अधिक)
  • ₹24.5 करोड़ लिंक कन्वेयर, जिससे कोल जेट्टी-I से स्टैक यार्ड तक दक्षता में 0.72 MMTPA की वृद्धि
  • 6 MW पवन ऊर्जा संयंत्र
  • ₹90 करोड़ बहु-कार्गो बर्थ
  • 3.37 किमी चार-लेन सड़क
  • तमिलनाडु समुद्री विरासत संग्रहालय

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • VOC पोर्ट पहले “तूतिकोरिन पोर्ट” के नाम से जाना जाता था, 2011 में स्वतंत्रता सेनानी वी. ओ. चिदंबरनार के सम्मान में इसका नाम बदला गया।
  • यह भारत के 13 प्रमुख बंदरगाहों में से एक है और कोरोमंडल तट पर स्थित है।
  • पोर्ट को अब तक ₹16,000 करोड़ से अधिक निवेश के साथ आधुनिक बनाया गया है।
  • सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक इस क्षेत्र में 98 परियोजनाएँ शुरू की गई हैं, जिनमें से 50 पूरी हो चुकी हैं।
  • VOC पोर्ट ने NTPC और Indian Port Rail and Ropeway Corporation Ltd के साथ हरित परिवहन और रेलवे कनेक्टिविटी के लिए समझौते किए हैं।

यह परियोजना न केवल भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगी, बल्कि वैश्विक निवेशकों के लिए एक आकर्षण बनकर भारत को शीर्ष 5 जहाज निर्माण राष्ट्रों में शामिल करने के लक्ष्य की ओर भी एक महत्वपूर्ण कदम है। VOC पोर्ट अब हरित बंदरगाह विकास का प्रतीक बनकर उभरा है।

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