भारत एनर्जी स्टैक: ऊर्जा क्षेत्र में डिजिटल क्रांति की नई आधारशिला

भारत सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र को डिजिटल रूप से सशक्त और एकीकृत बनाने के लिए एक ऐतिहासिक पहल करते हुए “इंडिया एनर्जी स्टैक (IES)” की परिकल्पना की है। विद्युत मंत्रालय द्वारा गठित टास्क फोर्स इस स्टैक को विकसित करने के कार्य का नेतृत्व करेगी। इस कदम का उद्देश्य भारत की ऊर्जा प्रणाली को एकीकृत, सुरक्षित और उपभोक्ता-केंद्रित डिजिटल अवसंरचना प्रदान करना है, जो देश के $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था और नेट ज़ीरो लक्ष्यों की दिशा में एक मजबूत आधार तैयार करेगा।
इंडिया एनर्जी स्टैक की अवधारणा
इंडिया एनर्जी स्टैक को एक ‘डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर’ (DPI) के रूप में विकसित किया जा रहा है, जो पूरे विद्युत क्षेत्र को एक मानकीकृत और खुले मंच पर लाएगा। यह स्टैक उपभोक्ताओं, परिसंपत्तियों और लेनदेन के लिए विशिष्ट पहचान (Unique ID) प्रदान करेगा और वास्तविक समय में सहमति-आधारित डेटा साझा करने में सक्षम बनाएगा। साथ ही, यह खुले API (एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) के माध्यम से विभिन्न प्रणालियों के बीच सुगम एकीकरण की सुविधा देगा।
डिजिटल नवाचार और उपभोक्ता सशक्तिकरण
विद्युत मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि जैसे आधार ने पहचान और UPI ने डिजिटल भुगतान में क्रांति लाई, वैसे ही IES ऊर्जा क्षेत्र में पारदर्शिता, विश्वसनीयता और नवाचार का नया युग आरंभ करेगा। यह उपभोक्ताओं को न केवल ऊर्जा खपत पर निगरानी रखने का अधिकार देगा, बल्कि उन्हें स्मार्ट निर्णय लेने के लिए सक्षम भी बनाएगा।
पायलट प्रोजेक्ट और परीक्षण चरण
IES को व्यवहारिक रूप से लागू करने के लिए अगले 12 महीनों में एक प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (PoC) चलाया जाएगा। इस चरण में “यूटिलिटी इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म” (UIP) का परीक्षण किया जाएगा, जो एक विश्लेषण-आधारित मॉड्यूलर एप्लिकेशन होगा। इसका उद्देश्य DISCOMs, नीति निर्माताओं और उपभोक्ताओं को रीयल-टाइम डेटा और स्मार्ट ऊर्जा प्रबंधन टूल्स के माध्यम से सशक्त बनाना है। यह पायलट परीक्षण मुंबई, गुजरात और दिल्ली के DISCOMs के साथ किया जाएगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI): भारत में आधार, UPI और CoWIN जैसे प्लेटफ़ॉर्मों को DPI के रूप में मान्यता दी जाती है, जो जनसेवा को डिजिटल रूप से सुलभ बनाते हैं।
- UPI (Unified Payments Interface): यह भारत में वित्तीय लेनदेन की क्रांति का केंद्र रहा है, जिसने नकद रहित लेनदेन को व्यापक बनाया।
- Net Zero लक्ष्य: भारत ने 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके तहत स्वच्छ ऊर्जा की ओर तेज़ी से संक्रमण किया जा रहा है।
- DISCOM: Distribution Companies (DISCOMs) वह कंपनियाँ होती हैं जो बिजली को अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुंचाती हैं और विद्युत वितरण प्रणाली का अहम हिस्सा हैं।
इंडिया एनर्जी स्टैक न केवल ऊर्जा क्षेत्र को आधुनिक बनाने की दिशा में एक निर्णायक पहल है, बल्कि यह भारत को डेटा-चालित, उत्तरदायी और उपभोक्ता-केंद्रित ऊर्जा प्रणाली की ओर अग्रसर करेगा। यह पहल ऊर्जा क्षेत्र में वैसी ही डिजिटल क्रांति ला सकती है, जैसी आधार और UPI ने अपने-अपने क्षेत्रों में की थी।