भारत-अफ्रीका कृषि सहयोग: खाद्य सुरक्षा और सतत विकास की ओर एक साझा प्रयास

भारत और अफ्रीका के बीच कृषि और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग आज पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। खाद्य असुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और कृषि क्षेत्र में संरचनात्मक बदलाव की आवश्यकता जैसे वैश्विक संकटों के बीच, यह साझेदारी दोनों क्षेत्रों के लिए टिकाऊ विकास की कुंजी बन गई है। अफ्रीका की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है, लेकिन यह क्षेत्र जलवायु जोखिमों, कमजोर अवसंरचना और वित्त व प्रौद्योगिकी की सीमित पहुंच से जूझ रहा है।
अफ्रीका में कृषि चुनौतियाँ और भारत की भूमिका
अफ्रीका में खेती अब भी वर्षा पर निर्भर है, जिससे सूखा, अनियमित वर्षा और गर्मी की लहरें भारी नुकसान पहुंचाती हैं। इसके अलावा, किसानों के पास आधुनिक उपकरण, वित्तीय सेवाएं और बाजार सूचना तक सीमित पहुंच है। इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए एक समग्र, मूल्य श्रृंखला आधारित दृष्टिकोण आवश्यक है।
भारत अफ्रीका के इस कृषि परिवर्तन में एक रणनीतिक साझेदार के रूप में उभरा है। भारतीय सरकार द्वारा अफ्रीकी देशों को दी गई सॉफ्ट लोन योजनाएं, प्रशिक्षण कार्यक्रम और तकनीकी सहायता ने खेती के तरीकों, सिंचाई, मिट्टी की गुणवत्ता और यंत्रीकरण में सुधार लाने में मदद की है। उदाहरण के लिए, अंगोला को कृषि उपकरण खरीदने के लिए भारत से $23 मिलियन की लाइन ऑफ क्रेडिट मिली है।
निजी क्षेत्र की भागीदारी और औद्योगिक निवेश
भारतीय निजी क्षेत्र ने भी अफ्रीका में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में उल्लेखनीय निवेश किया है। ज़िम्बाब्वे में मिडेक्स ग्लोबल और स्थानीय निगम के संयुक्त उपक्रम, सर्फेस विलमार ने $1.5 मिलियन का निवेश कर खाना पकाने के तेल का सबसे बड़ा संयंत्र स्थापित किया। इसी प्रकार, ETG जैसे भारतीय कृषि समूह कई अफ्रीकी देशों में सक्रिय हैं और महिला उद्यमिता परियोजनाओं में योगदान दे रहे हैं।
ज़िमगोल्ड और वरुण बेवरेजेज़ जैसे अन्य भारतीय निवेशकों ने खाद्य प्रसंस्करण और कृषि उत्पादन में करोड़ों डॉलर लगाए हैं, जिससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिला है।
जमीनी स्तर पर सहयोग और मानवीय सहायता
भारत-अफ्रीका कृषि सहयोग केवल आर्थिक निवेश तक सीमित नहीं है, बल्कि मानवीय सहायता और सामाजिक सशक्तिकरण तक फैला है। सेवा जैसे भारतीय एनजीओ महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता बढ़ाने वाले कार्यक्रम चला रहे हैं, जो ग्रामीण भारत के सफल मॉडल पर आधारित हैं। भारत ने ज़िम्बाब्वे और मलावी जैसे देशों को खाद्यान्न, कृषि उपकरण और प्रशिक्षण केंद्र प्रदान किए हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- अफ्रीका की लगभग 65% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, लेकिन इसका जीडीपी में योगदान केवल 15% है।
- अफ्रीका हर साल लगभग $50-$110 बिलियन मूल्य का खाद्य आयात करता है।
- अफ्रीकी संघ की “Feed Africa” पहल का लक्ष्य 320 मिलियन लोगों को भूख से निकालना और $100 बिलियन से अधिक के एग्रीबिजनेस अवसर खोलना है।
- भारत का “3A” मॉडल (Affordable, Appropriate, Adaptable) अफ्रीका के लिए उपयुक्त तकनीकी समाधान प्रदान करता है।
भारत और अफ्रीका दोनों समान जलवायु संकट, जनसंख्या वृद्धि और भू-राजनीतिक अस्थिरताओं का सामना कर रहे हैं। इन साझा चुनौतियों को अवसरों में बदलने के लिए एक सशक्त साझेदारी की आवश्यकता है, जो कृषि यंत्रीकरण, सिंचाई, खाद्य प्रसंस्करण और अनुसंधान में निवेश को बढ़ावा दे सके। यह सहयोग न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि दोनों महाद्वीपों में समावेशी विकास और समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।