भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थियाँ वियतनाम से भारत लौटेंगी: एक ऐतिहासिक आध्यात्मिक यात्रा का समापन

भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थियाँ, जो एक महीने तक वियतनाम में सार्वजनिक दर्शन के लिए रखी गई थीं, अब 2 जून 2025 को भारतीय वायु सेना के विशेष विमान द्वारा भारत लौटेंगी। यह यात्रा आध्यात्मिक एकता और वैश्विक शांति के संदेश को सशक्त करने वाली रही है।
वियतनाम में अस्थियों की यात्रा और विस्तार
मूल रूप से 21 मई तक की योजना बनाई गई इस प्रदर्शनी को वियतनामी सरकार के विशेष अनुरोध पर 2 जून तक बढ़ा दिया गया। इस दौरान, पवित्र अस्थियाँ वियतनाम के नौ प्रमुख शहरों में ले जाई गईं, जिनमें हो ची मिन्ह सिटी, ताय निन्ह, हनोई, हा नाम, निन्ह बिन्ह और बाक जियांग शामिल हैं। इन स्थलों पर लगभग 1.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जो इस आयोजन की आध्यात्मिक सफलता को दर्शाता है।
भारत में स्वागत और आगामी कार्यक्रम
अस्थियाँ 2 जून की रात 10 बजे दिल्ली के पालम वायुसेना स्टेशन पर पहुंचेंगी, जहां ओडिशा के राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कांभमपति के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल उन्हें लेकर आएगा। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) के अधिकारी और वरिष्ठ भिक्षु उनका औपचारिक स्वागत करेंगे।
3 जून को, ये पवित्र अस्थियाँ राष्ट्रीय संग्रहालय में एक दिन के लिए सार्वजनिक दर्शन हेतु रखी जाएंगी। दोपहर में एक विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें वरिष्ठ भिक्षु, IBC के महासचिव और विभिन्न देशों के राजनयिक प्रतिनिधि भाग लेंगे।
4 जून को, राष्ट्रपति स्तर की सुरक्षा व्यवस्था के साथ एक विशेष काफिले में अस्थियाँ दिल्ली से वाराणसी होते हुए सारनाथ के मूलगंध कुटी विहार में स्थापित की जाएंगी, जहां उनका स्थायी रूप से पूजन होगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- मूलगंध कुटी विहार: यह विहार सारनाथ में स्थित है, जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।
- वेसाक दिवस: संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त यह दिवस बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण की स्मृति में मनाया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC): यह संगठन वैश्विक बौद्ध समुदाय के बीच सहयोग और संवाद को बढ़ावा देता है।
- वियतनाम में बौद्ध धर्म: वियतनाम में बौद्ध धर्म प्रमुख धर्मों में से एक है, और वहां की संस्कृति में इसकी गहरी जड़ें हैं।
- भारतीय वायु सेना की भूमिका: अस्थियों के परिवहन में भारतीय वायु सेना ने विशेष विमान और सुरक्षा व्यवस्था प्रदान की, जो इस आयोजन की महत्ता को दर्शाता है।
भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थियों की यह यात्रा न केवल भारत और वियतनाम के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत करती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर शांति, करुणा और सह-अस्तित्व के संदेश को भी सशक्त करती है। इस ऐतिहासिक यात्रा ने यह सिद्ध किया है कि आध्यात्मिक धरोहरें सीमाओं से परे जाकर मानवता को एक सूत्र में बांध सकती हैं।