बेंगलुरु बना भारत का ‘तेंदुआ राजधानी’: कैमरा ट्रैप सर्वेक्षण में 80-85 जंगली तेंदुए दर्ज

बेंगलुरु बना भारत का ‘तेंदुआ राजधानी’: कैमरा ट्रैप सर्वेक्षण में 80-85 जंगली तेंदुए दर्ज

बेंगलुरु के वन्यजीव संरक्षण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि सामने आई है। होलेमट्ठी नेचर फाउंडेशन (HNF) द्वारा किए गए एक वर्ष लंबे कैमरा ट्रैप सर्वेक्षण में यह पता चला है कि बेंगलुरु के आसपास के जंगलों और झाड़ियों में अनुमानित 80 से 85 जंगली तेंदुए निवास करते हैं। यह संख्या मुंबई के लगभग 54 तेंदुओं की तुलना में अधिक है, जिससे बेंगलुरु अब भारत का सबसे बड़ा महानगर बन गया है जहाँ सबसे अधिक संख्या में खुले में विचरण करने वाले बड़े बिल्ले पाए जाते हैं।

सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्ष

  • बैनरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान (BNP): सर्वेक्षण में 54 तेंदुए इस उद्यान के भीतर पाए गए, जो 2019 में 40, 2020 में 47 से बढ़कर 2025 में 54 हो गए हैं। यह वृद्धि मुख्य रूप से कड़े संरक्षण उपायों और शिकार की उपलब्धता में सुधार के कारण हुई है।
  • अन्य वन क्षेत्र: लगभग 30 तेंदुए टुराहल्ली, बी.एम. कावल, यू.एम. कावल, रोएरिच एस्टेट, हेसरघट्टा, सुलिकेरे और अन्य आरक्षित, घोषित और निजी वन क्षेत्रों में पाए गए।
  • कैमरा ट्रैप तैनाती: टीम ने 282 वर्ग किलोमीटर के मिश्रित आवास क्षेत्र में 250 से अधिक कैमरा ट्रैप तैनात किए, जिसमें BNP और आसपास के वन क्षेत्र शामिल हैं।
  • अन्य स्तनधारी प्रजातियाँ: सर्वेक्षण में तेंदुओं के अलावा 34 स्तनधारी प्रजातियाँ भी फोटो-कैप्चर हुईं, जिनमें से चार IUCN रेड लिस्ट में संकटग्रस्त और चार निकट संकटग्रस्त श्रेणी में हैं।

संरक्षण के लिए सिफारिशें

HNF ने निम्नलिखित सिफारिशें की हैं:

  • संरक्षण रिजर्व की घोषणा: बी.एम. कावल, यू.एम. कावल, रोएरिच एस्टेट और गोल्लाहल्ली गुड्डा को संरक्षण रिजर्व घोषित किया जाए।
  • BNP का विस्तार: दुर्गदकल आरएफ, बेट्टाहल्लीवाडे आरएफ (ब्लॉक बी) और जे.आई. बाचाहल्ली एवं एम. मणियंबल के घोषित वनों को BNP में शामिल किया जाए।
  • वन्यजीव गलियारे का संरक्षण: मुनिश्वरबेट्टा–बैनरघट्टा वन्यजीव गलियारे की रक्षा के लिए उचित संरक्षण उपाय अपनाए जाएँ।
  • सामुदायिक जागरूकता: बेंगलुरु के तेजी से बढ़ते उपनगरों में तेंदुओं के साथ सुरक्षित सह-अस्तित्व के लिए सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रमों को सुदृढ़ किया जाए।
  • तेंदुओं का पुनः स्थानांतरण रोकना: BNP में तेंदुओं के और स्थानांतरण को रोका जाए और मानव-तेंदुआ संघर्ष के मूल कारणों को उनके स्रोत स्थलों पर संबोधित किया जाए।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत में तेंदुआ संरक्षण: तेंदुआ (Panthera pardus) भारत में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के अंतर्गत संरक्षित है, जो इसे उच्चतम स्तर की कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
  • IUCN स्थिति: अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने तेंदुए को ‘असुरक्षित’ (Vulnerable) श्रेणी में रखा है, जिससे इसके संरक्षण की आवश्यकता और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
  • बेंगलुरु का जैव विविधता हॉटस्पॉट: बेंगलुरु एकमात्र ऐसा महानगर है जिसके किनारे अभी भी बाघ, तेंदुआ, धोल (जंगली कुत्ता), हाथी, गौर, सांभर और अन्य बड़े स्तनधारी पाए जाते हैं।
  • संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी: HNF की टीम में स्थानीय समुदायों के फील्ड असिस्टेंट्स शामिल हैं, जो संरक्षण प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

बेंगलुरु की यह उपलब्धि न केवल शहर की जैव विविधता को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि शहरीकरण के बावजूद, यदि उचित संरक्षण उपाय और सामुदायिक भागीदारी हो, तो वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व संभव है। यह मॉडल अन्य महानगरों के लिए भी प्रेरणास्पद हो सकता है।

Originally written on June 6, 2025 and last modified on June 6, 2025.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *