बीएसएफ और इसरो मिलकर बना रहे हैं ड्रोन आधारित रडार सिस्टम, सीमाओं की निगरानी को मिलेगा नया आयाम

सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सहयोग से एक अत्याधुनिक ड्रोन आधारित रडार प्रणाली विकसित की है, जो भारत की पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं पर निगरानी को नई दिशा देगी। यह तकनीक सीमाओं को पार किए बिना दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने की क्षमता प्रदान करेगी और भविष्य के युद्ध परिदृश्यों में भारत की रणनीतिक बढ़त को सशक्त बनाएगी।
ड्रोन तकनीक में रणनीतिक बदलाव
बीएसएफ और इसरो के बीच सहयोग के अंतर्गत, छोटे लेकिन अत्यंत संवेदनशील रडार अब ड्रोन पर लगाए जाएंगे। ये ड्रोन भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश की सीमाओं पर प्रभावी निगरानी करेंगे, खासकर उन क्षेत्रों में जहां स्थायी चौकियों या रडार स्थापना कठिन है। बीएसएफ ने पहले से ही मध्य प्रदेश के टेकनपुर स्थित अकादमी में ‘स्कूल ऑफ ड्रोन वॉरफेयर’ की स्थापना कर दी है, जो इस क्षेत्र में उसके दीर्घकालिक विजन को दर्शाता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ से मिली प्रेरणा
बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के अनुभवों ने उन्हें यह समझने में मदद की कि भविष्य के युद्धों में ड्रोन की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होगी। इसी दृष्टिकोण से ड्रोन आधारित निगरानी प्रणालियों का विकास प्रारंभ किया गया। आने वाले महीनों में बीएसएफ स्वयं इन रडार-संलग्न ड्रोन का निर्माण टेकनपुर अकादमी में शुरू करेगी।
हर मौसम और समय में निगरानी संभव
ड्रोन-आधारित रडार प्रणाली की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह दिन-रात और किसी भी मौसम में कार्य करने में सक्षम है — चाहे वह कोहरा हो, अंधेरा या बारिश। यह तकनीक छोटे वाहन, घुसपैठिए या किसी भी संदिग्ध गतिविधि का तेजी से पता लगाकर बीएसएफ को वास्तविक समय में अलर्ट प्रदान करती है, जिससे तत्काल कार्रवाई संभव हो पाती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- बीएसएफ (BSF) की स्थापना 1965 में हुई थी और यह भारत की सीमाओं की पहली रक्षा पंक्ति मानी जाती है।
- ISRO का गठन 1969 में हुआ और यह भारत की प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी है।
- ‘ऑपरेशन सिंदूर’ बीएसएफ का हालिया सैन्य अभ्यास है जिससे ड्रोन की उपयोगिता पर नई समझ विकसित हुई।
- टेकनपुर स्थित BSF अकादमी देश का प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र है जहां उन्नत युद्ध तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है।