बिहार को मिलेगा पहला एटॉमिक प्लांट: न्यूक्लियर एनर्जी मिशन के तहत केंद्र की बड़ी घोषणा

केंद्र सरकार ने बिहार में देश के पहले छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR)-आधारित परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना को मंजूरी दे दी है। यह घोषणा केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पूर्वी क्षेत्र के ऊर्जा मंत्रियों की बैठक के बाद की, जिसमें बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के प्रतिनिधि शामिल थे। यह कदम केंद्र सरकार के न्यूक्लियर एनर्जी मिशन के अंतर्गत आता है, जिसे 2025-26 के बजट में ₹20,000 करोड़ के आवंटन के साथ शुरू किया गया है।

बिहार में SMR की स्थापना क्यों महत्वपूर्ण है?

बिहार लंबे समय से बिजली की कमी और अधोसंरचना समस्याओं से जूझता रहा है। राज्य सरकार की मांग पर केंद्र ने SMR संयंत्र को मंजूरी दी है, जो राज्य में ऊर्जा स्थायित्व सुनिश्चित करने में एक बड़ी भूमिका निभाएगा। SMR तकनीक पारंपरिक परमाणु संयंत्रों की तुलना में अधिक लचीली, सुरक्षित और लागत प्रभावी मानी जाती है। इसे छोटे ग्रिड्स में तैनात किया जा सकता है और यह बिजली की निरंतर आपूर्ति में सहायक होगी।

न्यूक्लियर एनर्जी मिशन क्या है?

भारत सरकार का लक्ष्य है कि देश के हर राज्य में कम से कम एक परमाणु संयंत्र स्थापित किया जाए ताकि देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। यह मिशन ऊर्जा के विविधीकरण और बढ़ती मांग को पूरा करने के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया है। SMR संयंत्रों को इस दिशा में एक क्रांतिकारी तकनीक माना जा रहा है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • SMR (Small Modular Reactor) छोटे आकार के परमाणु रिएक्टर होते हैं जिन्हें जल्दी स्थापित किया जा सकता है और संचालन में अधिक सुरक्षित होते हैं।
  • न्यूक्लियर एनर्जी मिशन को 2025-26 के केंद्रीय बजट में ₹20,000 करोड़ का आवंटन मिला है।
  • बिहार सरकार ने औपचारिक रूप से संयंत्र की मांग केंद्र से की थी, जिसे स्वीकृति मिल गई है।
  • परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी भारत की कुल ऊर्जा उत्पादन में धीरे-धीरे बढ़ाई जा रही है।

परियोजना के संभावित लाभ

इस परियोजना से बिहार में न केवल स्थायी और विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी, बल्कि राज्य के औद्योगिक विकास को भी गति मिलेगी। साथ ही, यह परियोजना प्रदेश को ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की दिशा में आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होगी।
इसके अलावा, केंद्र ने बिहार में 1,000 मेगावाट की बैटरी स्टोरेज परियोजना को भी मंजूरी दी है, जिससे ग्रिड स्थायित्व और अक्षय ऊर्जा के एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा। इस पर परियोजना लागत में प्रति मेगावाट ₹18 लाख की सहायता केंद्र सरकार द्वारा दी जाएगी।
कुल मिलाकर, बिहार में एटॉमिक प्लांट की स्थापना राज्य की ऊर्जा क्षमताओं में बड़ा परिवर्तन लाने वाली है, और यह देश की ऊर्जा नीति में बिहार को एक महत्वपूर्ण स्थान दिला सकती है।

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